नेहा की कहानी: “अंधेरे में जलता दीपक

नेहा एक साधारण परिवार की लड़की थी, पर उसके विचार असाधारण थे। बचपन से ही उसे किताबें पढ़ने, मंदिरों में शांत बैठने, और अपनी डायरी में भावनाओं को उकेरने का शौक था। कॉलेज के दिनों में जब सब पार्टी कर रहे होते, नेहा अखबार, तुलसीदास और रवींद्रनाथ टैगोर पढ़ रही होती।

धीरे-धीरे वह सोशल मीडिया पर सक्रिय हुई। वहाँ उसने अपनी कविताओं और अध्यात्म से भरे विचारों को साझा करना शुरू किया। लोग उसे “सोच से गहरी, आत्मा से जुड़ी लेखिका” कहने लगे।

🙏 वह भगवान श्रीकृष्ण की बहुत बड़ी भक्त थी। “जो हो रहा है, वह मुझसे बेहतर जानता है,” यह उसका मंत्र था।

लेकिन फिर जीवन ने करवट ली।

उसके जीवन में मुश्किलें आई, उसे लगा जैसे वो अब खतम हो चुकी है, घर की स्थिति बिगड़ गई। नेहा शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान रहने लगी l उसे जीवन में कोई राह नजर नहीं आ रही थी l

उसी समय उसके अपनों में से किसी ने कमेंट किया: “बड़ी-बड़ी बातें करती हो नेहा… देखो खुद की ज़िंदगी में क्या चल रहा है… भगवान से इतना जुड़ी हो, फिर इतनी परेशानी क्यों है?”

कोई और होता तो टूट जाता। मगर नेहा मुस्कराई।

उसने एक पोस्ट लिखा,

“सुदामा को देखकर हंसना आसान है, पर उसकी गरीबी में भी कृष्ण पर भरोसा बनाए रखना कठिन है। मैं वहीं खड़ी हूँ। जहाँ लोग हँसते हैं, वहीं से मेरी शक्ति शुरू होती है।”

फिर नेहा ने “सुदामा की मुस्कान” नाम से एक किताब लिखी — जिसमें उसने उन सभी लोगों की कहानियाँ लिखीं जिनका मज़ाक इसलिए उड़ाया गया क्योंकि वे अंदर से कोमल थे, भगवान से जुड़े थे, या कुछ गहरे विचारों के साथ जीते थे।

📖 उसकी किताब वायरल हो गई।

उसकी लेखनी ने लाखों को छू लिया, और जो कभी उसका मज़ाक उड़ाते थे, वही अब चुपचाप उसकी पोस्ट पढ़ते थे।

 

नेहा जानती थी —

 

अध्यात्म कोई सुरक्षा कवच नहीं कि समस्याएँ पास न आएं।

बल्कि यह वो शक्ति है, जो हमें संकट में भी मुस्कराना सिखाती है।

 

आज भी नेहा सोशल मीडिया पर लिखती है, लेकिन अब वह “प्रेरणा का नाम” बन चुकी है।

 

सीख क्या है?

 

जो भीतर से उजाले से भरा है, उसे बाहर का अंधेरा डरा नहीं सकता।

 

लोग बात करेंगे, हँसेंगे, लेकिन जब आप सच और आस्था से जुड़े होते हो — तब वही लोग आपकी ताकत मानने लगते हैं।

 

भगवान सबसे ज़्यादा उन्हीं की परीक्षा लेते हैं, जिन्हें वे सबसे ज़्यादा प्रेम करते हैं।

 

व्यक्तिगत अनुभव

नेहा वार्ष्णेय

दुर्ग (छत्तीसगढ़)