🌸 “बदल रही हूं…” शौक की उम्र में नेहा का सब्र करने तक का सफर — नेहा वार्ष्णेय का आत्मीय साक्षात्कार….
✍️ लेखन, चेतना और श्रीमद्भागवत गीता के मार्ग पर चलती एक साहित्यिक साधिका की कहानी
चंदौसी की गलियों में पली-बढ़ी, और आज छत्तीसगढ़ की माटी में रमकर आत्मा के गहराइयों से शब्दों की साधना करने वाली — यह कहानी है नेहा वार्ष्णेय की, जिनकी लेखनी में राधा की भक्ति है, मीरा की वेदना है, और झांसी की रानी जैसी चेतना है।
“जब मुझे लगने लगा कि मैं बदल रही हूं,और अकेली सी हो गयी हूं,तब शब्दों ने मेरे भीतर घर बनाना शुरू कर दिया।”
नेहा वैष्णव की यह आत्मस्वीकृति ही उनकी रचनात्मक यात्रा का केंद्र है। जीवन के तमाम तूफानों से जूझते हुए, वे केवल कवियित्री नहीं बनीं — बल्कि वे स्त्री आत्मबल, आध्यात्मिक चेतना, और सामाजिक बदलाव की प्रवक्ता बनकर उभरीं।
📖 लेखन की शुरुआत और उद्देश्य
बचपन से पढ़ने और लिखने का शौक रखने वाली नेहा बताती हैं,
“शब्द मेरे लिए सिर्फ माध्यम नहीं रहे, वे मेरे अस्तित्व की पहचान बन गए।”
कभी कविताओं में प्रेम, करुणा और संवेदनाएं झलकती थीं, लेकिन जब उन्होंने भीतर की ‘वीरता’ को देखा — तब उन्होंने वीर रस में भी लेखनी डुबो दी। अब उनकी कविताएं त्याग, बलिदान, स्वाभिमान और नारी चेतना की सशक्त प्रतिध्वनि हैं।
📚 श्रीमद्भागवत गीता से जुड़ाव
नेहा का जीवन श्रीमद्भागवत गीता से गहराई से जुड़ा है।
“गीता की गंगा ने मेरे भीतर कर्म, भक्ति और आत्म-चिंतन की धारा प्रवाहित की।”
उनका मानना है कि गीता एक लाइफ चेंजिंग बुक है, जो न केवल धर्म बल्कि ध्यान और धैर्य का मार्ग भी दिखाती है।
नेहा अपने लेखन को समाज के लिए आईना मानती हैं।
” मैने खुद अपने जीवन में बचपन से संघर्ष किया, नारी को हमेशा संघर्ष करते हुए देखा — चाहे माँ, बहन, बेटी या पत्नी के रूप में। मुझे लगा कि शब्दों से ही बदलाव लाया जा सकता है।”
नेहा मानती है कि सफलता पाने के लिए संघर्ष और धैर्य दोनों जरूरी हैं। सिर्फ साधारण प्रयास काफी नहीं होते, विशेष प्रयास और धैर्य की परीक्षा भी होती है। वह दिए का उदाहरण देती है — जो कम तेल और बाती के बावजूद गहरे अंधेरे से लड़ता है। अपनी सीमित शक्ति से भी वह उजाला फैलाता है, क्योंकि उसमें धैर्य और निरंतरता होती है। इसी तरह, इंसान भी धैर्य और प्रयास से सफलता प्राप्त कर सकता है।
✍️ प्रकाशन की दिशा में अगला कदम
नेहा की आगामी दो किताबें हैं:
एक आत्मकथात्मक पुस्तक जो दिल और दिमाग की यात्रा को रेखांकित करती है।
और दूसरी”श्रीमद्भागवत गीता पर आधारित विवेचनात्मक पुस्तक”
जो आध्यात्मिक पथ से जुड़े पाठकों के लिए उपयोगी होगी।
🎙️ आधुनिक रुचियाँ और भविष्य की योजनाएं
नेहा को पॉडकास्ट सुनना पसंद है, खासतौर पर वह कंटेंट जो भगवतम, गीता, या आध्यात्मिक विषयों से जुड़ा हो। उन्हें कंटेंट राइटिंग, अखबारों में लेखन और सामाजिक विषयों पर धारदार दृष्टिकोण प्रस्तुत करना बेहद रुचिकर लगता है।
उनके लिए लेखन केवल कला नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक तपस्या है।
✨ अंतिम शब्द…
“जब शब्द शस्त्र बनते हैं, तब साहित्यकार युद्ध नहीं, विचारों की क्रांति करता है।”
नेहा वार्ष्णेय की यात्रा, लेखन में आत्मा की सघनता से शुरू होकर चेतना की क्रांति तक जाती है। वे न केवल लेखिका हैं, बल्कि एक चेतना-व्रती स्त्री हैं, जो अपनी पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन बन सकती हैं।
साक्षात्कार नेहा वार्ष्णेय के साथ