प्रयागराज, लखनऊ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की प्रयागराज यात्रा इस बार केवल एक पारिवारिक अवसर तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसमें आध्यात्मिक आस्था और ऐतिहासिक विरासत के प्रति उनके गहरे जुड़ाव की झलक भी देखने को मिली। वह समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल की बेटी की शादी में शिरकत करने प्रयागराज पहुंचे थे। उनके साथ पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरनमय नंदा और पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी भी मौजूद रहे।शहर में कदम रखते ही सड़कों पर उमड़े जनसैलाब ने उनके प्रति जनता के समर्थन और उम्मीदों को एक बार फिर उजागर कर दिया। दो दर्जन से अधिक रास्तों पर छात्र, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग समाजवादी झंडे व फूलमालाओं के साथ उनका स्वागत करते दिखे। नारेबाजी और उनके समर्थन में उठती आवाजों से वातावरण गूंज उठा। लोगों को भरोसा है कि 2027 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर ही उन्हें न्याय और सम्मान मिलेगा।कार्यक्रम स्थल पर अखिलेश यादव ने वर-वधू को आशीर्वाद दिया और शादी समारोह में शामिल हुए दो दर्जन से ज्यादा विधायकों व वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। इनमें विधानसभा में नेता विरोधी दल माता प्रसाद पांडेय, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व सांसद नरेश उत्तम पटेल सहित कई नेता शामिल थे। इस मौके पर उन्होंने पत्रकारों से बातचीत कर प्रदेश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर भी चर्चा की।प्रयागराज की इस यात्रा को विशेष बनाते हुए अखिलेश यादव ने अकबर के ऐतिहासिक किले के भीतर स्थित पौराणिक अक्षयवट और सरस्वती कूप के दर्शन किए। सूबेदार मेजर आरएन पांडेय द्वारा पुजारी के रूप में कराई गई विधिवत पूजा में उन्होंने श्रद्धापूर्वक भाग लिया। माना जाता है कि यह अक्षयवट 5270 वर्षों पुराना है, और यही वह स्थान है जहां ब्रह्माजी ने यज्ञ किया था, भगवान विष्णु यजमान बने और भगवान शिव देवता। यह वही वृक्ष है जहां ऋषि शुकदेव ने राजा परीक्षित को भागवत पुराण सुनाया था और श्रीकृष्ण बाल रूप में इसके पत्ते पर विराजे थे।अक्षयवट के साथ ही उन्होंने सरस्वती कूप के भी दर्शन किए, जिसे गुप्त सरस्वती नदी का उद्गम स्थल माना जाता है। यह तीर्थराज प्रयाग का वह केंद्र है जहां प्राचीन भारत की आध्यात्मिक चेतना आज भी जीवंत है।इतिहास और आस्था के इस समागम में, अखिलेश यादव की इस यात्रा में अकबर के किले की ऐतिहासिक जानकारी भी सामने आई। मुगल सम्राट अकबर ने 1583 में इस किले का निर्माण कराया था, जिसे बनने में 40 वर्ष लगे और जिसमें लगभग 6 करोड़ 17 लाख रुपये की लागत आई थी। वर्तमान में किले का एक हिस्सा भारतीय सेना के अधीन है, जबकि जोधाबाई महल, अशोक स्तंभ और सरस्वती कूप जैसे हिस्से पर्यटकों के लिए खुले हैं।नेताजी मुलायम सिंह यादव ने अपने रक्षा मंत्री कार्यकाल में यहां दर्शन की सुगम व्यवस्था कराई थी। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अखिलेश यादव केंद्र सरकार से लगातार यह मांग कर रहे हैं कि अकबर का किला उत्तर प्रदेश सरकार को हस्तांतरित किया जाए, ताकि जनता को इसकी ऐतिहासिक और आध्यात्मिक संपदा का बेहतर अनुभव मिल सके।प्रयागराज में लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन और साधु-संतों से संवाद के साथ यह यात्रा अखिलेश यादव की आध्यात्मिक आस्था और भारत की सांस्कृतिक विरासत के प्रति उनकी गहन निष्ठा का प्रमाण बनी। यह यात्रा राजनीतिक नहीं, बल्कि आत्मिक जुड़ाव और सांस्कृतिक पुनर्स्मरण की एक महत्वपूर्ण कड़ी बनकर सामने आई।