दलित समाज से 71 संत महामंडलेश्वर बनेंगे

  प्रयागराज महाकुंभ में दलित समाज से 71 संत महामंडलेश्वर बनेंगे। महामंडलेश्वर की उपाधि जूना अखाड़ा देगा। इन सभी संतों ने दो से तीन साल पहले अखाड़े में संन्यास लिया था। महामंडलेश्वर बनने के बाद इन्हें अखाड़े के मठ-मंदिरों की जिम्मेदारी दी जाएगी।
इसके पीछे मुख्य वजह धर्मांतरण रोकना है। सबसे ज्यादा ईसाई मिशनरी एससी- एसटी का धर्मांतरण करा रहे हैं। वहीं, बौद्ध धर्म भी तेजी से इस समाज में पैठ बना रहा है। इसे देखते हुए जूना अखाड़ा के संत मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, केरल, महाराष्ट्र और गुजरात पर फोकस कर रहे हैं। यहां आदिवासी- अनुसूचित जाति की आबादी अच्छी-खासी है।
इसके पहले जूना अखाड़ा ने 2018 में अनुसूचित जाति के कन्हैया प्रभुनंद गिरि को महामंडलेश्वर बनाया था। 2021 में हरिद्वार कुंभ में 10 एससी समाज के संतों को महामंडलेश्वर बनाया था। अप्रैल 2024 में महेंद्रानंद गिरी को जगद्‌गुरु और कैलाशांनद गिरी को महामंडलेश्वर की उपाधि दी। इसके अलावा गुजरात के साइंस सिटी सोला अहमदाबाद में मंगल दास, प्रेम दास, हरि प्रसाद और मोहन दास बाबू को महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई।
अब महाकुंभ में गुजरात के 15, महाराष्ट्र के 12, छत्तीसगढ़ के 12, झारखंड के 9, मध्य प्रदेश-केरल के आठ-आठ, ओडिशा के 7 एससी-एसटी समाज के लोगों को महामंडलेश्वर की उपाधि दी जाएगी। ये महामंडलेश्वर हरिद्वार, नासिक, उज्जैन, प्रयागराज, वाराणसी, कोलकाता, अहमदाबाद, गांधीनगर समेत देश के अन्य शहरों में स्थित अखाड़े के मठों और मंदिरों का संचालन करेंगे। इनके अलावा दलित समाज के 500 लोगों को संन्यास की दीक्षा दी जाएगी।
ज्ञात हो कि देश में मान्यता प्राप्त 13 अखाड़ों के संत, महंत और महामंडलेश्वर को कुंभ के दौरान मेले में सुविधा मिलती है। हालांकि, उज्जैन 2016 में हुए कुंभ मेले के दौरान किन्नर अखाड़ा भी अस्तित्व में आया। लेकिन अखाड़ा परिषद ने उसे मान्यता देने से मना कर दिया। बाद में किन्नर अखाड़ा श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के हिस्से के रूप में शामिल किया गया। अलग मान्यता देने को लेकर विरोध चल रहा है।
वस्तुत: तीन संप्रदायों के अखाड़े हैं, जिनमें महामंडलेश्वर का पद होता है। ये तीनों संप्रदाय अलग-अलग हैं। इनमें शैव (शिव को मानने वाले), वैष्णव संप्रदाय (विष्णु और उनके अवतारों को मानने वाले) और उदासीन संप्रदाय शामिल हैं। इसमें शैव संप्रदाय के सात अखाड़े हैं। वैष्णव और उदासीन संप्रदाय के तीन-तीन अखाड़े हैं।