🌹 ओ३म् 🌹
🌼 ईश्वरीय वाणी वेद 🌼
*ओ३म् अग्ने यं यज्ञमध्वरं विश्वस्त:परिभूरसि।स इद्देवेषु गच्छति।।*
ऋग्वेद १/१/४
*पदार्थ* [ अग्ने] हे परमेश्वर ! आप [ विश्वस्त:] सर्वत्र व्याप्त होकर [यम] जिस [अध्वरम्] हिंसादि दोष रहित [यज्ञम् ] विद्या आदि पदार्थों के दानरुप यज्ञ को [परिभू:] सब प्रकार के पालन करने वाले हैं।[स इत् ] वहीं यज्ञ [ देवेषु] विद्वानों के बीच में [गच्छति] फैलकर जगत को सुख प्राप्त कराता है।
🌸 *मंत्र का भावार्थ 🌸*
जिस कारण व्यापक परमेश्वर अपनी सत्ता से उक्त यज्ञ की निरंतर रक्षा करता है,इसी से वह अच्छे-अच्छे गुणों के देने का हेतु होता है।इसी प्रकार ईश्वर से दिब्यगुणयुक्त अग्नि भी रचा है कि जो उत्तम शिल्पविद्या का उत्पन्न करने वाला है।उन गुणों को केवल धार्मिक उद्योगी और विद्वान् मनुष्य ही प्राप्त होने के योग्य है।
🌻 *वेद मंत्र का सार🌻*
जो लोग पुरुषार्थी और विद्वान् मनुष्य हैं उन्हीं को अग्निहोत्र विज्ञान का लाभ मिल पाता है। क्योंकि यज्ञ करने के लिए पुरुषार्थ और सत्य विद्या वेद का ज्ञान होना जरूरी है।
📚 *स्वाध्याय विधि 📚*
वेद मंत्र ईश्वर की पवित्र वाणी है जो मनुष्यों के हृदय में उत्पन्न होती है। अतः संस्कृत व व्याकरण के बिना समझ में नहीं आयेगी ऐसी धारणा त्याग दें।
बहुत ही धीरे -धीरे केवल पढ़ते जाएं। शीघ्रता न करें। पढ़ने से पूर्व ईश्वर को मन में याद करें।कुछ दिन के परिश्रम के बाद आपको सब समझ में आने लगेगा। ऋग्वेद में पदार्थ विद्या व उनकी स्तुति का वर्णन है।इसको समझने पर यह समझ में आ जायेगा कि यह संसार किसने बनाया? किससे बनाया? और किसके लिए बनाया? केवल धैर्य के साथ स्वाध्याय कीजिए ईश्वर की कृपा होते ही ईश्वरीय वाणी आपके समझ में आ जायेगी।
🍁 *विशेष ज्ञातव्य*🍁
अगर आप चाहें तो हमारे यू ट्यूब चैनल *आचार्य वेद वाणी* पर ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद कथा और वैदिक भजन भी सुन सकते हैं।
आचार्य सुरेश जोशी
*वैदिक प्रवक्ता*
आर्यावर्त साधना सदन पटेल नगर दशहराबाग बाराबंकी उत्तर प्रदेश ☎️ 7985414636☎️
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