पृथ्वी पर प्लास्टिक प्रदूषण दोगुना हो जाएगा 2030 तक

बस्ती। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने महासागरों को बचाने के लिए स्थायी प्रयास किए हैं एवं प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए जागरूक भी किया जा रहा है. हमारे छोटे छोटे प्रयासों के माध्यम से हम प्रदूषण को बढ़ने से रोक सकते हैं, जिससे महासागरों को कोई क्षति ना पहुंचे. यह बातें विश्व युवक केंद्र नई दिल्ली के सहयोग से युवा विकास समिति द्वारा मनाये जा रहे विश्व पर्यावरण दिवस पखवाड़ा के तहत विश्व महासागर दिवस के अवसर पर पुरानी बस्ती स्थित सुर्ती हट्टा में रिहैब प्लस सोसाइटी कार्यालय में आयोजित गोष्ठी और औषधीय पौध वितरण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि आयुर्वेद चिकित्सक वैद्य अजय चौधरी नें कही.
विशिष्ट अतिथि एक्यूप्रेशर एवं योग चिकित्सक डॉ. नवीन सिंह नें कहा की अमेरिकी सरकार द्वारा हाल में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली वेबसाइट इको वाच के अनुसार समुद्र में प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण की वजह से प्रत्येक वर्ष 10 लाख से ज्यादा पक्षी एवं एक लाख से ज्यादा समुद्री जीवों की मौत हो रही है. पानी का तापमान बढ़ने से समुद्र में ऊंची-ऊंची लहरें उठ रही हैं जिससे भयानक समुद्री तूफान आने की आशंका बनी हुई है. उन्होंने विश्व महासागर दिवस मनाने के कारणों पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि 2008 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 8 जून को विश्व महासागर दिवस घोषित किया गया है. यह मानवता के लिए न सिर्फ भोजन और दवाएं बल्कि जल संसाधन के माध्यम से देश को आर्थिक रूप से भी समृद्ध बनाते हैं.
रिहैब प्लस सोसाइटी की निदेशक नीलम मिश्रा नें कहा की 2030 तक पृथ्वी पर प्लास्टिक प्रदूषण दोगुना हो जाएगा. वैज्ञानिकों के अनुसार समुद में 1950 से 2016 के बीच 66 वर्षों में जितना प्लास्टिक जमा हुआ है उतना केवल आगामी 10 सालों में जमा हो जाएगा. इससे महासागरों में प्लास्टिक कचरा 30 करोड़ टन तक पहुंच सकता है.
उन्होंने कहा की हर साल उत्पादित होने वाले कुल प्लास्टिक में से महज 20 प्रतिशत ही रिसाइकल हो पाता है. 39 प्रतिशत जमीन के अदर दबाकर नष्ट किया जाता है और 15 फीसदी जला दिया जाता है. प्लास्टिक के जलने से उत्सर्जित होने वाली कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 2030 तक तीन गुनी हो जाएगी जिससे हृदय रोग के मामलों में तेजी से वृद्धि होने की आशंका है.
योग गुरु गरुणध्वज पाण्डेय नें कहा की 2030 तक स्ट्रा और पॉलीथिन बैग जैसी सिर्फ एक बार प्रयोग की जा सकने वाली प्लास्टिक की वस्तुओं को इस्तेमाल को हटाने का है. वैज्ञानिकों के अनुसार एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक सबसे ज्यादा खतरनाक है. प्लास्टिक कचरे में सबसे ज्यादा मात्रा सिंगल यूज प्लास्टिक की होती है. उन्होंने न सिर्फ समुद्री पर्यावरण बल्कि स्थलीय पर्यावरण को भी सुरक्षित और संरक्षित करने हेतु आम लोगों का आह्वान किया. उन्होंने अपने अपने गांव, मोहल्लों में स्थित जलाशयों तालाबों, नहरों और नदियों के आसपास जमा प्लास्टिक कचरा संग्रहित कर आम जनमानस में समुद्री पर्यावरण को स्वच्छ बनाने का भी संदेश दिया.
इस मौके कृष्णा चतुर्वेदी, नरेंद्र, उषा शर्मा, अरविन्द साहू, वीना सचान, मनोज कुमार, अभिषेक वर्मा, सत्यम साहू, विनोद कुमार, अनीता वर्मा, दिलीप कुमार शुभम सोनकर, आशीष अरोरा, नें भी अपने विचार रखे।

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