बस्ती – धान में खैरा रोग के लगने पर पत्तियाँ पीली पड़ जाती है। उक्त जानकारी देते हुए संयुक्त कृषि निदेशक अविनाश चन्द्र ने बताया कि जिसके नियंत्रण के लिए प्रति हेक्टेयर 05 किग्रा0 जिंक सल्फेट, 20 किग्रा0 यूरिया के साथ मिलाकर टॉप ड्रेसिंग करें, जब बारिष की सम्भावना न हो। उन्होने बताया कि धान मे झुलसा या झोंका रोग लगने पर कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यू0पी0 की 1.50 किग्रा0 मात्रा 500 ली0 पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।
उन्होने बताया कि जिन किसान भाईयों ने जून माह के अन्त में धान की रोपाई की है, वे यूरिया की टॉप ड्रेसिंग कर दें क्योंकि इस समय खेत में पर्याप्त नमी रहती है। किसान भाई समयानुसार दूसरी टॉप ड्रेसिंग नैनो यूरिया से कर सकते है।
उन्होने बताया कि खरपतवारों का यांत्रिक विधियों से नियंत्रण करें, जिससे मुख्य फसल की बढ़वार हो सके तथा सिंचाई जल का उचित उपभोग हो सके। उन्होने बताया कि दलहनी, तिलहनी फसलों के पौधों की संख्या नियंत्रित करने के लिए विरलीकरण की प्रक्रिया अपनायें।
उन्होने बताया कि प्रधानमन्त्री किसान सम्मान निधि से वंचित कृषक अपना भू-लेख अंकन के सत्यापन हेतु अभिलेख उप कृषि निदेषक कार्यालय में जमा करायें तथा ई-के0वाई0सी0 एवं आधार का सत्यापन पोस्ट ऑफिस/बैंक तथा कामन सर्विस सेन्टर पर करायें। अधिक आय प्राप्त करने के लिए किसान भाई वर्षाकाल में अपने खेत की मेड़ों पर सागौन अथवा फलदार वृक्ष जैसे-आम, अमरूद, ऑवला 4-6 मीटर की दूरी पर लगाये।