अयोध्या।
रामनगरी अयोध्या में अखिल भारतीय ढाढ़ण महोत्सव समिति के तत्वावधान में भव्य धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर देश के विभिन्न प्रांतों से आए हजारों श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे हैं। कार्यक्रम के अंतर्गत श्रीराम अर्चा, श्रीराम कीर्तन, मंगल पाठ, भजन-कीर्तन एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतियां आयोजित की जा रही हैं, जिससे पूरा वातावरण राममय हो उठा है।
इस आयोजन के मुख्य संरक्षक निर्मल भरतिया अध्यक्ष शिवाजी बजाज तथा सचिव नितेश भरतिया हैं। वहीं मुख्य आयोजकों में प्रमोद बजाज, पवन बजाज, श्याम बजाज, अश्विन बजाज, अजय गुप्ता, मुकेश बजाज और दिनेश भरतिया प्रमुख रूप से शामिल हैं। आयोजन में देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं के साथ-साथ विदेशों से भी भक्तों की सहभागिता देखने को मिल रही है। यह कार्यक्रम अयोध्या मे तीन दिवसीय है
समिति से जुड़े पदाधिकारियों ने बताया कि अखिल भारतीय ढाढ़ण महोत्सव समिति विगत कई वर्षों से भारत के विभिन्न तीर्थ स्थलों पर धार्मिक यात्राएं एवं सांस्कृतिक आयोजनों का निरंतर आयोजन करती आ रही है। संस्था की कुलदेवी आनंद सत्यानंद प्रति (दादी जी) हैं, जिनका भव्य मंदिर राजस्थान के शेखावाटी अंचल के डांडा गांव में स्थित है। मान्यता है कि यहां दो बहनें अपने भाई पर सती हुई थीं, जिसके उपरांत यह शक्तिपीठ स्थापित हुआ।
समिति द्वारा हर वर्ष किसी न किसी पावन तीर्थ स्थल पर वार्षिक उत्सव का आयोजन किया जाता है। इस परंपरा की शुरुआत वर्ष 2013 में काशी (बनारस) से हुई थी। इसके बाद वृंदावन, द्वारकाधीश, रामेश्वरम, जगन्नाथ धाम, पशुपतिनाथ सहित कई प्रमुख तीर्थों में आयोजन संपन्न हो चुके हैं। अयोध्या में आयोजित यह कार्यक्रम उसी श्रृंखला की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
कार्यक्रम के दौरान रामलला के दर्शन, दान–महादान, गरीबों को अनाज वितरण कम्बल वितरण जैसे सेवा कार्य भी किए जा रहे हैं। पंडाल में दोपहर से लेकर देर शाम तक राजस्थान की सांस्कृतिक झलक प्रस्तुत करने वाले कार्यक्रम, रामलीला और भजन संध्या आयोजित हो रही है।
समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य रामलला के दर्शन, कुलदेवी का प्रचार-प्रसार तथा श्रद्धालुओं को विभिन्न तीर्थों से जोड़ना है। उन्होंने अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रदेश सरकार एवं प्रशासन का आभार व्यक्त किया।
अंत में आयोजकों ने प्रभु श्रीराम और कुलदेवी दादी जी से प्रार्थना की कि इस प्रकार के धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों की परंपरा निरंतर आगे बढ़ती रहे।