महेन्द्र कुमार उपाध्याय
अयोध्याधाम। महर्षि वाल्मीकि जयंती और शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर, “साहित्य एक संकल्प सेवा संस्थान” के सफलतम एक वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में, मंगलवार, 07 अक्टूबर 2025 को हनुमत निवास, लक्ष्मण घाट, अयोध्याधाम में “अवध प्रभा – अखिल भारतीय कवि सम्मेलन” का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ अयोध्या के महापौर महंथ गिरीशपति त्रिपाठी ने दीप प्रज्वलन कर किया, जिसके बाद कवयित्री ज्योति तिवारी ने मधुर सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। इस साहित्यिक अनुष्ठान में काव्य, संस्कृति और साहित्य का अद्भुत संगम देखने को मिला। दो सत्रों में काव्यरस की अमृतवृष्टि यह आयोजन दो अत्यंत सफल सत्रों में संपन्न हुआ, जिसने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। युवा कवियों को मिला मंच प्रथम सत्र “युवा कवि सम्मेलन” का रहा, जिसका कुशल संचालन कवि कौशल पाण्डेय ‘नादान’ ने किया। इस सत्र में युवा प्रतिभाओं ने अपनी ओजपूर्ण और भावनात्मक रचनाओं से समां बांध दिया। युवा कवि अमर हिंदुस्तानी, उज्ज्वल उजाला, रोहन निष्पक्ष, अंकिता पाण्डेय, ज्योति तिवारी, अनुराग श्रीवास्तव, राहुल तिवारी, निशी तिवारी और अनुराग श्रीवास्तव ने अपनी प्रभावी वाणी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मुख्य सत्र में राम और राष्ट्रधर्मिता का घोष। द्वितीय सत्र “मुख्य कवि सम्मेलन” के रूप में हुआ, जिसका संचालन सुप्रसिद्ध कवि डा0 नीरज पाण्डेय ने किया। इस सत्र में आमंत्रित वरिष्ठ कविगण ज्ञान प्रकाश आकुल, डा0 चेतना पाण्डेय, नवल सुधांशु, अर्चना द्विवेदी और डॉ0 अनुजेंद्र तिवारी ने राम और राष्ट्रधर्मिता पर अपनी विविध विधाओं की रचनाओं से काव्यरस की अमृतवृष्टि की। कवियों की वाणी ने श्रोताओं से न केवल वाहवाही बटोरी, बल्कि तालियों की गड़गड़ाहट से एक नई चेतना और जोश का संचार भी पैदा किया।
आभार व्यक्त और विशेष धन्यवाद
कार्यक्रम के अंत में, संस्था की सचिव अपर्णा जायसवाल ने सभी आमंत्रित कवियों, अतिथियों एवं उपस्थित जनसमूह के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया और कार्यक्रम की सफलता के लिए संस्था की कोर टीम के प्रति विशेष धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने संस्थापक अभिषेक पाठक, अध्यक्ष ऋचा श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष प्रखर श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष कौशल पाण्डेय तथा सदस्य देवेश के अथक प्रयासों की सराहना की। अवध प्रभा कवि सम्मेलन ने जहाँ युवा रचनाकारों को मंच प्रदान किया, वहीं वरिष्ठ कवियों की वाणी से जनमानस साहित्य-सागर में अवगाहित हुआ। यह आयोजन न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि समाज में रचनात्मक चेतना के प्रसार का भी सशक्त माध्यम बना।