प्रिय अग्रज/वरिष्ठ कवि यमराज मित्र सुधीर श्रीवास्तव को सादर समर्पित – कुलदीप सिंह रुहेला
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यमराज और यमराज मित्र
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एक ऐसा कवि, जिसके शब्दों में झिलमिलाती है रौशनी,
जिनकी कविता बनती है
अंधियारे में चमकती कलम की संजीवनी
उसने यमराज से की दोस्ती,
मुस्कान में उनकी गहरी छवि बनी,
मरने के भय को उसने अपनाया,
जीवन में उनको नई सीख मिली।
मैं केवल शब्दों से नहीं, जीवन से भी कुछ दूँगा,
उसने कहा, ‘अंगदान, देहदान करूँगा।’
यमराज ने देखा उसकी आत्मा में असीम उजाला है
मृत्यु भी झुकी उसकी संकल्प शक्ति के सामने प्याला है
वो कवि बन जो लिखता है दर्द, खुशी
और उम्मीद की कहानी,
उसने जीवन में दिया जो दान,
बना अमर मानवता की निशानी।
हर कविता में बसती उसकी मुस्कान और प्रेम की रोशनी,
यमराज भी कह उठे उसे ‘सच्चा मित्र हूँ तेरा’
तुमने मुझे अमरता का दर्शन करा दिया !
तब हम सबके प्रिय यमराज मित्र ने कहा ‘शब्द और जीवन’,
दोनों हैं मेरे दान, जिन्हें मैं बाटूँ, दुनिया में
जिससे बढ़े प्यार का मान-सम्मान और अपनापन।
यमराज ने सीखा, मृत्यु भी हो सकती है
मित्र की तरह, जब जीवन में हो सच्चाई
प्रेम और सेवा का असली आकार
यमराज मित्र सुधीर ने यमराज को बताई ये सच्चाई,
दोनों की यारी ने दोस्तो सारे संसार में
मिलकर एक किताब छपवाई
यमराज की यारी की सारी कहानी
मेरे दोस्त यमराज मित्र सुधीर ने सारे जग वालों को सुनाई !
कुलदीप सिंह रुहेला
सहारनपुर उत्तर प्रदेश