आजादी: सिर्फ़ एक दिन नहीं, हर दिन की सोच

आजादी… यह सिर्फ़ एक शब्द नहीं, बल्कि वह भावना है जो हमें बिना डर, बिना संकोच अपने अस्तित्व को जीने की शक्ति देती है। स्वतंत्रता का अर्थ केवल बाहरी बंधनों से मुक्त होना नहीं है, बल्कि भीतर से भी आज़ाद होना है—अपनी राय खुलकर रखना, अपनी पसंद के काम को चुनना और अपने बच्चों को दो संस्कृतियों के बीच संतुलन सिखाना।

एक नागरिक के रूप में हमारे लिए यह समझना ज़रूरी है कि सवाल करना गलत नहीं, बल्कि सुधार की दिशा में पहला कदम है। अपने अधिकारों को जानना, व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए आवाज उठाना और अपनी जगह खुद तय करना—यही सच्ची आज़ादी है।

मैं भारत को बेहद प्यार करती हूँ और मेरा सपना है कि एक दिन ऐसा आए जब देश की व्यवस्था इतनी मजबूत हो कि हर युवा को अपने सपनों को पूरा करने के लिए देश छोड़ना न पड़े। मेरे लिए आजादी सिर्फ़ 15 अगस्त को झंडा फहराने तक सीमित नहीं, बल्कि यह वह शक्ति है जो हर भारतीय को अपनी जड़ों से जुड़कर दुनिया में अपनी पहचान बनाने का हौसला देती है।

आजादी का मतलब है—हर आवाज़ को सुना जाए, हर सपने को सच करने का अवसर मिले। 15 अगस्त की सुबह हमें यह याद दिलाती है कि स्वतंत्रता सिर्फ़ इतिहास की एक घटना नहीं, बल्कि हर दिन जीने का एक नया वादा है। यह वह प्रेरणा है जो हमें देश के लिए कुछ बेहतर करने की शक्ति देती है।

क्योंकि आजादी केवल अधिकार नहीं, यह हमारी ज़िम्मेदारी भी है।

नेहा वार्ष्णेय

दुर्ग छत्तीसगढ़