पुस्तक समीक्षा
*************पुस्तक का नाम:- यमराज मेरा यार
एकल काव्य संग्रह
रचनाकार:- श्री सुधीर श्रीवास्तव गोंडा उत्तर प्रदेश
प्रकाशक:- लोक रंजन प्रकाशन प्रयागराज
मूल्य:- 240/-
समीक्षक :- डॉ अमित कुमार बिजनौरी
सार्वजनिक मंचो से देहदान की घोषणा कर चुके सुप्रसिद्ध कवि, दोहाकार छंद रचेता, पत्रकारिता के शौकीन कथा और कहानीकार, एक प्रखर वक्ता, तर्कशील व्यक्तित्व के धनी जो किसी परिचय के मोहतज नहीं है। अवध की पुण्य सलिला सरयू की शस्य श्यामला पावन भूमि गोण्डा की धरती में जन्में श्री सुधीर श्रीवास्तव ने अपनी प्रथम एकल काव्य संग्रह “यमराज मेरा यार ” को प्रकाशित करा कर सोशल मीडिया में सुर्खियां बटोर रहे है ।
जब से इस पुस्तक ने साहित्य जगत में कदम रखा है पाठकगणों को लुभा रही है । कईं पुस्तक समीक्षकों ने इस पुस्तक की समीक्षा लिखी। जो विभिन्न भिन्न पत्र पत्रिकाओं/ ब्लॉग /बेवसाइट्स में प्रकाशित हो चुकी है । यह सिलसिला आगे भी जारी है । इस पुस्तक में शुभांकाक्षी और शुभचिंतक के विचारों को छोड़ कर पुस्तक में कुल मिलाकर 170 पेज इस पुस्तक में 44 रचनाओं का सुंदर समावेश किया गया है ।
इस पुस्तक की भाषा शैली सरल सहज ओर व्यंग्यात्मक ढंग से लिखा गया है जबकि पुस्तक में कविताओं के साथ साथ दोहे को शामिल किया गया है । अतुकांत कविताओं का यह काव्य संग्रह पूरी तरह हास्य व्यंग्य है, जो बहुत ही गहरा चिंतन लिए हुए है ।
पुस्तक के मुखपृष्ठ की बात करें, तो बहुत ही आकर्षक है, जिसे देखते ही मनभावो को चिंतन में परिवर्तित कर देता है ।
यह पुस्तक पूर्ण रूप से परमपूज्य गुरूदेव “श्रद्धेय स्व. सोमनाथ तिवारी जी के श्रीचरणों में शब्द सुमन समर्पित
किए है ।
पुस्तक में शुभाशीष डॉ रत्नेश्वर पटना बिहार, शुभकामना संदेश खालिद हुसैन सिद्दीकी लखनऊ, आशीर्वचन श्री संतोष श्रीवास्तव विद्यार्थी सागर मध्यप्रदेश, नव आयामी प्रथम कृति यमराज के नाम प्रेरक वक्त तत्वदर्शी डॉ अर्चना श्रेया, शुभकामना शुभाशीष श्रीमती डॉ पूर्णिया पाण्डेय प्रयागराज, शुभाशीष शुभकामना ममता श्रवण अग्रवाल अपराजिता, शुभकामना संदेश शुभेच्छु दीदी प्रेमलता रस बिंदु गोरखपुर उत्तर प्रदेश, स्नेहिल शुभकामनाएं निधि बोथरा जैन इस्माइलपुर पश्चिम बंगाल, स्नेहिल शुभकामनाएं डॉ अणिमा श्रीवास्तव पटना बिहार, शुभकामना आकाश कवि घोष साप्ताहिक पत्रिका , अभिमत संगीता चौबे पंखुड़ी स्वयं अपनी बात कवि ने अपने शब्दों में में इस तरह बयां कि —
सिन्धु ने जब भी खुशी के गीत गाए ।
ह्दय मुक्ता को तट पर छोड़ आए ।।
भावपक्ष की दृष्टि से बेजोड़ पुस्तक बन पड़ी है । मुझे भी पुस्तक का पी डी एफ पढ़ने को मिला है । जिसे तीन से चार बार पढ़ चुका हूँ ।
पुस्तक की विषय वस्तु इतनी सरल भाषा मे है सीधी पाठक के ह्दय तल पर जाकर ठहर जाती है । और एक नई सकारात्मक सोच को जन्म देती है । कवि के लिए इससे गौरवशाली पल नहीं होगा, न ही होना चाहिए ।
अब मैं आपको यम राज मेरा यार पुस्तक की साहित्यिक यात्रा की सैर करवाता हुआ सफर जारी करता है-
प्रथम पूजन गणेश का, शुरू करें शुभ काम ।
देव् ओर फिर पूजिए, सुख मिले परिणाम ।।
आगे भी इस प्रकार अपनी बात कही है
चित्र गुप्त होते जहाँ ,शीश झुकाओ मित्र ।
खुशियों के फिर रोज ही ,खूब बनाओ चित्र ।।
ऐसे ही अपनी लेखनी को ओर धारदार करते हुए लिखते हैं कि –
बिना गुरू के आपका , कब होगा उद्धार ।
कहाँ मिलेगा आपको जीवन रूपी सार ।।
ओर किस प्रकार वंदना धरि की मुझ जैसे अधीर की धीर धरो मॉं
हे ! मॉं नमन मेरा स्वीकार करो ।
इस अज्ञानी का भी उद्धार करो ।।
यहाँ से जो पुस्तक का नामकरण किया गया है ‘यमराज मेरा यार’किस प्रकार कवि अपने भावो को कविता के रूप में गूँथने का काम कर रहा है, इससे कवि महोदय की सोच उजागर होती है । कविता का शीर्षक ‘यमराज का ऑफर’
शीर्षक के माध्यम से व्यंग्यात्मक चित्रण किया है । जैसे कोई मजा हुआ खिलाड़ी हर बॉल को अपने बल्ले से बड़ी चतुराई से खेलता है । यहाँ इस कविता के माध्यम से कवि भी अपनी बात रखने में सफल हो जाता है ।
कवि की निडरता निर्भीकता का परिचय इस बात से हो रहा है कि मुत्यु तो सास्वत है, उसे तो एक दिन आना है । और मुझे ही क्या सब को जाना है । एक दिन यमलोक “यात्रा पर जरूर जाऊँगा” यही चित्र खिंचने की कोशिश
यह आप भी पढ़कर समझ सकते है ।
फिर नई कविता का शीर्षक है “यमराज का हुड़दंग ” मानो कवि और यमराज आमने सामने आ गए हो और यमराज ने कवि महोदय के आगे हार मान ली हो।
पुस्तक में यमराज की नसीहत,यमराज का यक्ष प्रश्न ,
यमराज का श्राप, रायते का चक्कर, कोल्हू का बैल, यमराज मेरा यार, यमराज साहित्यिक मंच, यमराज की शुभकामनाएं, यमराज की हड़ताल, यमराज कांप उठा, खुला ऑफर, कवि यमराज, यमराज का निमंत्रण,लिखित फरमान आदि शीर्षक के माध्यम से लिखी गयी कविताओं ने दिल को छू लिया है । एक से बढ़कर एक कविता है ।
पुस्तक को इतना रोचक ढंग से लिखा गया है कि पढ़ने वाला पाठक कहीं भी बोर नही होगा । क्योंकि ऐसे समय मे जहाँ हर कोई किसी न किसी चिन्ता से ग्रस्त है । मानो हँसी कईं वर्ष बीत गए हो । ऐसे दौर में यह पुस्तक उन सभी सुधिपाठको को हंसाएगी खिलखिलाएगी ।मैं उन सभी पाठकों से अनुरोध करता हूँ जो साहित्य के जानकार है उन्हें यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए । और अपने सखा सम्बन्धियों को भी पढ़ने के लिए प्ररेरित करें ।
अंत में मैं पुस्तक रचेता को बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ कि जिस खूबसूरती से यह एकल सग्रह सुधि पाठकों के हाथों में दिया है आगे भी आपकी लेखनी पढ़ने को मिलती रहेगी।
समीक्षक
डॉ अमित कुमार बिजनौरी
कदराबाद खुर्द स्योहारा
जिला बिजनौर उत्तर प्रदेश
(संस्थापक -नव साहित्य परिवार भारत /पूर्व उपसंपादक
स्योहारा प्रहरी समाचार पत्र)