स्थानीय मिट्टी से जुड़ी कहानियों के लिए लखनऊ से ‘स्वभू’ की शुरुआत, नीम करौली बाबा पर बन रही ट्रिलॉजी

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लखनऊ जब कंटेंट की दुनिया ट्रेंड्स, ग्लैमर और शहरी चकाचौंध के पीछे दौड़ रही है, तब लेखक, फिल्ममेकर और मीडिया एंटरप्रेन्योर डॉ. विशाल चतुर्वेदी ने लखनऊ से एक नई और सार्थक पहल की शुरुआत की है। उन्होंने ‘स्वभू’ नामक एक मीडिया नेटवर्क की स्थापना की है, जो स्थानीय मिट्टी से जुड़ी कहानियों को उनकी मूल भाषा और भावना के साथ वैश्विक मंच पर लाने का प्रयास करेगा। इस नेटवर्क की पहली पेशकश नीम करौली बाबा पर आधारित तीन फ़िल्मों की श्रृंखला (ट्रिलॉजी) है, जिसे हिंदी, अंग्रेजी, ब्रज, भोजपुरी और अवधी भाषाओं में बनाया जा रहा है।प्रेस कांफ्रेंस के दौरान डॉ. विशाल चतुर्वेदी ने बताया कि बाबा नीम करौली, जिनकी आध्यात्मिक शक्ति ने स्टीव जॉब्स, जूलिया रॉबर्ट्स और मार्क जुकरबर्ग जैसे दिग्गजों को भारत की ओर आकर्षित किया, उनके जीवन और दर्शन को उसी ज़मीन से, उसी श्रद्धा और सादगी के साथ प्रस्तुत किया जाएगा जहाँ वे वास्तव में जिए गए।यह फ़िल्म ट्रिलॉजी डॉ. विशाल की पुस्तक ‘डिवाइन डिटूअरः दैट चेंज्ड माय लाइफ’ से प्रेरित है, जिसका प्रकाशन ट्रुथ एंड सोशल पब्लिकेशन द्वारा किया गया है। इसी मौके पर पुस्तक का विमोचन और फ़िल्म के पोस्टर का लोकार्पण भी किया गया।डॉ. चतुर्वेदी ने ‘स्वभू’ को सिर्फ एक कंपनी नहीं, बल्कि एक ऐसा रचनात्मक मंच बताया जो उत्तर प्रदेश सहित पूरे भारत के ग्रामीण और छोटे शहरों के प्रतिभाशाली लोगों को अपनी कला और कहानियाँ साझा करने का अवसर देगा। उनका मानना है कि दिल को छूने वाली कहानियाँ वहीं से आती हैं जहाँ उन्हें जिया गया हो—गाँवों की गलियों, लोक बोलियों और आम लोगों के जीवन से।स्वभू’ को ओटीटी प्लेटफॉर्म ‘स्टेज’ का साथ मिला है, जो हरियाणवी, राजस्थानी और भोजपुरी जैसे लोकभाषा आधारित कंटेंट के लिए जाना जाता है। ‘स्टेज’ के सह-संस्थापक एवं मुख्य क्रिएटिव अधिकारी परवीन सिंगल ने बताया कि वे इस परियोजना का डिजिटल और ओटीटी पार्टनर बनकर गर्व महसूस कर रहे हैं। यह साझेदारी इस विश्वास को मजबूत करती है कि जड़ों से जुड़ी सच्ची कहानियों को आधुनिक तकनीक और प्लेटफॉर्म के जरिए वैश्विक दर्शकों तक पहुँचाया जा सकता है।गौरतलब है कि डॉ. विशाल चतुर्वेदी उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हैं और उन्होंने गोरखपुर से अपनी मेडिकल की पढ़ाई की है। उन्होंने गुलाब गैंग, हुड़दंग, डेढ़ बीघा ज़मीन जैसी फिल्मों में काम किया है और दूरदर्शन पर प्रसारित हो रही टीवी सीरीज फौजी-2 के लेखक हैं। साथ ही, वे अनुभव सिन्हा और विवेक अग्निहोत्री जैसे प्रतिष्ठित निर्देशकों के साथ भी लंबे समय तक काम कर चुके हैं।यह पहल केवल एक मीडिया प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि देश की सांस्कृतिक विविधता और स्थानीय परंपराओं को सम्मान देने की एक प्रेरणादायक कोशिश है।