वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
चंडीगढ : मीडिया वेल बिंग एसोसिएशन (रजिस्टर्ड) के उत्तर भारत के अध्यक्ष चंद्र शेखर धरणी के नेतृत्व में एम डब्ल्यू बी का एक प्रतिनिधि मंडल सी एम हरियाणा नायब सिंह सैनी से संत कबीर कुटीर में मिला। एम डब्ल्यू बी द्वारा सी एम को एक ज्ञापन दे मांग की गई मीडिया की कैश लेस पॉलिसी जिसकी घोषणा सी एम साहिब ने की हुई उसे तुरत लागू किया जाए। सी एम साहिब ने अधिकारियों से कहा कि इसे शीघ्र कार्यानिवत करें।
ज्ञापन में कहा गया कि राजस्थान सरकार की तर्ज पर पत्रकारों के लिए हरियाणा सरकार को भी अधिस्वीकृत पत्रकारों और उनके परिवार के लिए एक नई स्वास्थ्य योजना बनाए।जिसके तहत अब उन्हें हर साल 10 लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज मिल सके। इस प्रतिनिधि मंडल में नारायण गढ़,बाबैन व आसपास के प्रमुख पत्रकार शामिल थे।
गौरतलब है कि राजस्थान राज्य सरकार ने अधिस्वीकृत पत्रकारों और उनके परिवार के लिए एक नई स्वास्थ्य योजना का ऐलान किया है, जिसके तहत अब उन्हें हर साल 10 लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज मिल सकेगा। सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग ने इस संबंध में “राजस्थान पत्रकार स्वास्थ्य योजना” (आरजेएचएस) की अधिसूचना जारी की हुई है। इस योजना की औपचारिक शुरुआत मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 28 मार्च 2024 को भीलवाड़ा में राज्य स्तरीय विकास एवं सुशासन उत्सव के दौरान की थी।
एम डब्ल्यू बी के उत्तर भारत के अध्यक्ष चन्द्र शेखर धरणी ने सी एम नायब सिंह सैनी को बताया कि उनका संगठन एक मात्र ऐसा संगठन है जो पत्रकारों से बिना एक भी पैसा लिए उनके दस दस लाख रुपए के एक्सिडेंटीयल व टर्म इंश्योरेंस करवाता है।संस्था केवल हरियाणा ही नहीं उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में प्रांतीय स्तर पर संगठन बना चुकी है। पंजाब, हिमाचल, चंडीगढ़, दिल्ली,जम्मू कश्मीर व उत्तराखंड में स्टेट यूनिट गठित है। संस्था समय समय पर पत्रकारों या उनके परिजनों को गम्भीर बीमारियों से ग्रस्त होने पर आर्थिक मदद भी करती रहती है।
धरणी ने जानकारी दी कि एम डब्ल्यू बी करोना कार्यकाल में पत्रकारों के लिए उत्पन्न संकटों को देखकर बनाई गई थी। संस्था की मांग है कि पत्रकारों की पेंशन बढ़ाकर 30 हजार रुपए प्रतिमाह की जाए। एसोसिएशन को एक कनाल का प्लाट भवन बनाने के लिए दिया जाए। हरियाणा में 20 साल से अधिक समय से जो भी व्यक्ति एक्टिव पत्रकार है, चाहे वह मान्यता प्राप्त नहीं है, को भी पेंशन के प्रावधान का लाभ दिया जाना चाहिए। मीडिया की डिजिटल प़लिसी में सरलीकरण करके उन्हें मान्यता प्रदान करने पर सरकार ध्यान दें। पेंशन आयु को 60 साल से कम कर 58 वर्ष की जाए।