मेरी कलम से – खुशी

*मेरी कलम से ✍️*

 

बेबस होकर मत आंसू बहाओ।

जो अपने हैं उनको अपना बनाओ।।

बेबसी की जिंदगी अधूरी होती है।

अपनो के साथ रह पूरी होती है।।

 

अपना काम करो पूरा,उसे मत छोड़ो अधूरा।

अपने अरमानों को सपनों में बसाओ पूरा।।

अपनों को अपनत्व से अपना बनाओ।

बेबस होकर मत कभी आंसू मत बहाओ।।

 

कर्म करो और आगे बढ़ते जाओ।

लक्ष्मी,दुर्गा,काली,ज्वाला,

चामुंडा, चंडी बन जाओ।।

दुष्टों का संहार करो ,

देश की वीरांगना बन जाओ।।

 

कितनी भी मुसीबतें आएं पर,

बेबस होकर आंसू मत बहाओ।

दुनिया है शैतानों की,बेईमानों की,

इसे देखकर मत घबराओ।।

 

उठा लो हाथों में तलवारें,

ढ़ेर करो गद्दारों की लाशें।

मिटा दो उनकी हस्तियां

खून से रक्त रंजित हाथ हों।।

 

तोड़ दो गुलामी की जंजीरें,

बेबस होकर आंसू मत बहाओ।

“खुशी” उठो और अपने कर्तव्य से न डगमगाओ।।

 

अपने ईमान की ताकत से

उन बेईमानो को छलनी कर दो।

मिटा दो भेद अब नर और नारी का,

शक्ति पुंज बनो।।

 

अब अबला नहीं सबला होकर,

दिखा दो ताकत दुष्टाचारो को तुम।

मिटा दो बेरहमियों की ताकतों को,

बेबस होकर आंसू मत बहाओ तुम।।

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खुशी…..✍️