कुदरहा। लालगंज थाना क्षेत्र के विभिन्न ईदगाहों और मस्जिदों में आज ईद उल अजहा (बकरीद) की नमाज शांतिपूर्वक तरीके से संपन्न हुई। यह त्योहार समाज में एकता, सद्भावना और धार्मिकता के महत्व को बढ़ावा देता है, जिसके माध्यम से मानवता के मूल्यों की प्रतिष्ठा की जाती है और सभी के बीच एक अद्वितीय बंधन का उत्सव मनाया जाता है।
नमाज के बाद लोगों ने एक दूसरे से गले मिलकर ईद उल अजहा की बधाइयां दीं। दिन भर लोग एक दूसरे के घर जाकर सेवईयां, खीर या शीर कोरमा का स्वाद लिया और ईद की मुबारकबाद दिया।
कुदरहा विकास क्षेत्र के जिभियाँव, बैडारी, थन्हवा मुड़ियारी सहित अन्य ईदगाहों और मस्जिदों में शनिवार सुबह 7 बजे बड़े ही अकीदत और अदबो एहतराम के साथ ईद उल अजहा की नमाज अदा की गई। इस्लाम धर्म को मानने वाले अपने-अपने ईदगाहों और मस्जिदों में पहुंचकर नमाज अदा की और देश की तरक्की तथा देश में अमन कायम रखने के लिए दुआएं मांगी। इस दौरान प्रत्येक ईदगाह पर पुलिस प्रशासन मुस्तैद दिखा, जिससे सुरक्षा व्यवस्था बनी रही।
इस मौके पर जिभियाँव मस्जिद के इमाम मौलाना मेराज अहमद ने बताया कि ईद उल अजहा, जिसे बकरीद भी कहते हैं, पैगंबर इब्राहिम के महान बलिदान की याद में मनाया जाता है। अल्लाह ने पैगंबर इब्राहिम की निष्ठा की परीक्षा लेने के लिए उनसे अपने सबसे प्यारे चीज़ की कुर्बानी मांगी। पैगंबर इब्राहिम ने अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने का फैसला किया। जैसे ही उन्होंने कुर्बानी के लिए छुरी उठाई, अल्लाह ने उनके बेटे की जगह एक मेमने को भेज दिया। यह घटना विश्वास, आज्ञाकारिता और त्याग के प्रतीक के रूप में देखी जाती है। इसलिए, इस दिन मुसलमान अल्लाह के प्रति अपनी आस्था और कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए जानवरों की कुर्बानी देते हैं और इस मांस को गरीबों, रिश्तेदारों और अपने बीच बांटते हैं। यह त्योहार दान, भाईचारे और अल्लाह की इच्छा के प्रति समर्पण का संदेश देता है।