ईदउल अज़हा के मौक़े पर एक नयी ग़ज़ल आपकी समाअतों के हवाले..

 

अख़बारों में ख़बर बनाकर रोज़ उछाले जाओगे,
कहना मान लो तुम दिल्ली का वरना मारे जाओगे।

उन की बदहाली पर अपनी आंखे यूँ न बंद करो,
आज वो उजड़े हैं बेटा कल तुम भी उजाड़े जाओगे।

चोरों को मत चोर कहो फरमान नया ये आया है,
चोरों को जो चोर कहा संसद से निकाले जाओगे।

कुछ बरतन,थोड़ा सा राशन,और मुसल्ला कुछ कपड़े,
लूटने आये हो घर मेरा सोचो क्या ले जाओगे।

बनो कलाम,टीपू,हमीद,अशफ़ाक़ बनो या तुम जौहर,
अब भारत में बाबर की औलाद पुकारे जाओगे।

अच्छे इंसा की क़ीमत इस दौरे हाज़िर में क्या है,
बने आसतीं के जो सांप तो घर घर पाले जाओगे।

और किसी को साथ में ले लो घर तक वो पहुंचा देगा,
इस हालत में मुझ से तो तुम नहीं सँभाले जाओगे।

कल नदीम के पास थी कुर्सी,आज हो इस पर तुम क़ाबिज़,
ध्यान रहे इस कुर्सी पर से तुम भी उतारे जाओगे।

नदीम अब्बासी “नदीम”
गोरखपुर॥