⭐ख़ुदा का नेक इंसान ⭐
इम्तिहान से मुसलमान,
अपनी नेकी कर्म से महान।
ख़ुदा का फ़रिश्ते,
सब्र से रहा करते।
किसी से कुछ नहीं कहा करते,
अपनों से कभी नहीं रूठा करते।
वजूद है हमारी,
उसूल है हमारी।
शोहरतों के पीछे न भागते,
ग़रीबों को कभी नहीं सताते।
पांच पहर की नमाज़ अदा करते,
मस्जिदों में ख़ुदा को देखा करते।
अज़ीज़ हैं बहुत हमारी,
रक़ीब से नफ़रत है हमारी।
कुछ गुफ्तगू कर लेता हूँ,
अभी एक ग़ज़ल लिखता हूँ।
आसमाँ की तरफ़ ग़ौर से देखा,
ख़ुदा ही ख़ुदा वहाँ नज़र आया।
उनकी एक इबादत है,
हमारी एक अरमां हैं।
वफ़ा-ए-ग़म को भूलाया नहीं जाता,
मुहब्बत ख़ुदा का तोहफ़ा है,इसे खोया नहीं जाता।
क़यामत एक दिन रंग लाएगी,
लोगों के ज़ेहन में मुहब्बतें भी आएगी।
खुदगर्ज हैं कितने लोग,
कभी नहीं बोलते मीठे बोल।
इल्मी हैं हम इल्म फैलाएंगे,
नफ़रत को मुहब्बत से जीतेंगे।
इस्लाम है धर्म हमारी,
पवित्र कुरआन है हमारी।
आपस में मुहब्बतें और भाईचारा हो,
ज़मीं पर ही है ज़न्नत,दिल में रहम हो।
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प्रकाश राय (कलमकार) ✒️✒️
(समस्तीपुर, बिहार)