अयोध्या में चौथे ‘बड़े मंगल’ पर भव्य भंडारा, आस्था और सेवा का संगम

 

महेन्द्र कुमार उपाध्याय
अयोध्या । धर्मनगरी अयोध्या में ज्येष्ठ माह के चौथे मंगलवार, जिसे ‘बड़ा मंगल’ के नाम से भी जाना जाता है, के शुभ अवसर पर एक भव्य भंडारे का आयोजन किया गया। इस पुनीत कार्य का शुभारंभ अयोध्या के महापौर, महंत गिरीशपति त्रिपाठी ने फीता काटकर किया, जिससे समूची धर्मनगरी में आस्था और उत्साह का वातावरण छा गया। यह सेवा कार्य अयोध्या के प्रसिद्ध तुलसी उद्यान के ठीक सामने संपन्न हुआ, जहाँ बड़ी संख्या में राम भक्तों और स्थानीय निवासियों ने श्रद्धापूर्वक प्रसाद ग्रहण किया। महापौर ने की सराहना, आयोजकों को दिया धन्यवाद । यह विशाल भंडारा मुख्य रूप से पार्षद प्रतिनिधि रिशु पांडे और पार्षद महंत अनुज दास के कुशल संयोजन से आयोजित किया गया था। इस अवसर पर महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी ने आयोजन की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे धार्मिक और सामाजिक कार्य अयोध्या की आध्यात्मिक गरिमा और गौरव को बढ़ाते हैं। उन्होंने आयोजकों और सभी सहयोगियों को इस सराहनीय पहल के लिए हृदय से धन्यवाद दिया। महापौर ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे आयोजन सामुदायिक सौहार्द और सेवा भाव को सुदृढ़ करते हैं।
‘प्रभु की इच्छा तक’ जारी रहेगी सेवा
आयोजकों ने इस अवसर पर बताया कि यह सेवा कार्य ‘प्रभु की इच्छा तक’ निरंतर जारी रहेगा। उनका उद्देश्य अधिक से अधिक श्रद्धालुओं और जरूरतमंदों को प्रसाद और भोजन उपलब्ध कराना है। यह घोषणा अयोध्या के सेवा भाव और त्याग की परंपरा को और भी अधिक मजबूत करती है। कई प्रमुख व्यक्तियों का रहा अमूल्य सहयोग । इस पुनीत कार्य को सफल बनाने में अनेक प्रमुख व्यक्तियों और सेवादारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें उमंग गुप्ता, विनीत पांडे, विनय तिवारी, पतिराम, राहुल सिंह, आयुष्मान पाठक, और विशाल गुप्ता सहित कई अन्य सेवादार शामिल थे। इन सभी ने भंडारे के सुचारू संचालन और व्यवस्था में अपना अमूल्य सहयोग दिया, जिससे हजारों श्रद्धालुओं को बिना किसी असुविधा के प्रसाद प्राप्त हुआ। प्रसाद वितरण और भोजन की व्यवस्था अत्यंत सुव्यवस्थित तरीके से की गई थी, जो आयोजकों की कुशल प्रबंधन क्षमता को दर्शाता है। श्रद्धालुओं में दिखा असीम उत्साह । भंडारे में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ ने इस आयोजन के प्रति उनकी अगाध आस्था और उत्साह को प्रदर्शित किया। जय श्री राम के उद्घोषों के साथ लोगों ने पंक्तिबद्ध होकर प्रसाद ग्रहण किया। यह आयोजन एक बार फिर अयोध्या की समृद्ध परंपरा, सामुदायिक सेवा के प्रति समर्पण और धार्मिक एकता का एक जीवंत उदाहरण बन गया है। इस भव्य भंडारे ने न केवल भक्तों को आध्यात्मिक संतुष्टि प्रदान की, बल्कि यह सामाजिक समरसता का भी एक महत्वपूर्ण प्रतीक बन गया।