कश्मीर, धरती का स्वर्ग, कितना सुंदर, शांत, मनभावन, मनमोहक लग रहा था। बर्फ से ढकी चोटियाँ, हरे-भरे मैदान, शांत झीलें और खिले हुए फूल – हर चीज़ ने मिलकर एक ऐसा नजारा पेश किया जो मन को मोह लेता है और आत्मा को शांति प्रदान करता है।
पहलगाम का दृश्य अत्यंत मनमोहक था,
हरियाली और बर्फ से ढकी चोटियाँ चमक रही थीं।
लिड्डर नदी की गुनगुनाहट और पेड़ों की सरसराहट,
एक अद्भुत संगीत का एहसास करा रही थीं।
पहलगाम हमले से पहले कश्मीर और पहलगाम में स्थिति तनावपूर्ण थी। आतंकवादी गतिविधियाँ और घुसपैठ की घटनाएँ आम थीं। सुरक्षाबल लगातार आतंकवादियों के खिलाफ अभियान चला रहे थे। पहलगाम में पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा बढ़ाई गई थी, लेकिन इसके बावजूद आतंकवादियों ने 22 अप्रैल 2025 को बड़ा हमला किया, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी। जहां इस बार आतंकिस्तान ने मानवता की सभी पराकाष्ठाओं को पार कर धर्म पूछ पूछ कर गोली मारी, अब वो उल्टी गिनती शुरू हो ही गई और पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार के विरुद्ध कड़े कदम उठाए। भारत सरकार ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाया और कहा कि यह हमला पाकिस्तान में बैठे आतंकवादी संगठनों द्वारा किया गया था। इसके बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को कम कर दिया और पाकिस्तान के उच्चायुक्त को तलब कर कड़ा विरोध दर्ज कराया।
भारत सरकार ने यह भी कहा कि वह पाकिस्तान से आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने की अपेक्षा करती है और यदि पाकिस्तान ऐसा नहीं करता है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। इसके अलावा भारत सरकार ने अपने सुरक्षा बलों को और अधिक सतर्क रहने और आतंकवाद के खिलाफ अभियान को और तेज करने के निर्देश दिए। इन कदमों के बाद ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य आतंकवादियों को खत्म करना था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया था कि उनके अपराधों की उनकी सोच से बड़ी सजा मिलेगी।
आखिर वो दिन आ ही गया जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर का शुभारंभ किया और 88 घंटों में आतंकिस्तान को नाक रगड़ने के लिए मजबूर किया, ऑपरेशन सिन्दूर को जरूर समझे इन पंक्तियों से
“सिंदूर सिंदूर सिंदूर…!!!”
ऑपरेशन सिंदूर की केशव देता बधाई,
देश की मांग में सिंदूर की शोभा बढ़ाई,
सिंदूर की शगुन से जीत की शुरुआत हुई,
देश की मांग में सिंदूर की शोभा सजाई,
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर गर्व है,
देश की जीत पर सभी को बधाई है।
आज सिंदूर हमने सजाया,
आज पाकिस्तान रक्तरंजित हो आया,
अब मांग में सिंदूर भी सज गया है,
हर सिंदूर का प्रतिशोध भी लिया है,
अब दुल्हन के घर वापसी की बारी है,
अब पीओके गृह वापसी की तैयारी है।
कविवर केशव का सिंदूर को नमन है,
सिंदूर की शक्ति से जीत का निशान है,
पीओके की वापसी पर जश्न मनाएंगे,
सिंदूर रक्षक हिंद सेना ने भी हुंकार भरी…
“आदेश करो माते! मुझको,
मै आतंक का सर्वनाश करूंगा,
इक ही प्रहार में तेरे सिंदूर का प्रतिशोध में लूंगा”,
सिंदूर की जीत पर बधाई देंगे…!!!
सिंदूर की जीत पर बधाई देंगे…!!!
ऑपरेशन सिंदूर का शुभारंभ करना क्यों जरूर था भारत के लिए, कारण भारत हिंसा नहीं अहिंसा को प्रथम स्थान पर रखता है, किन्तु जब बात अस्मिता पर आ जाएगी तो, भारत घर में घुसकर मारेगा।
मन कहां तक मारा जाए,
सुधारने का भ्रम क्यों पाला जाए,
नापाक पाक कभी रह न पाए,
उसको ऐसे सांचे में ढाला जाए
पितृ रक्त उसे याद आ जाए,
मां के दूध को भूल न पाए,
कुकर्मों की सजा उसे मिल जाए,
न्याय के तराजू में तौला जाए,
उसके कर्मों का फल चखाया जाए,
दुष्टता का परिणाम उसे सिखलाया जाए,
उसकी मंशा कभी पूर्ण न हो पाए,
मंसूबे उसके धरे के धरे रह जाए,
खुद कर्मों की माफी मांगने आए,
आंखें उसकी हमारे तांडव से खुल जाएं,
विश्व में इज्जत उसकी नीलाम की जाए,
ऐसा डर उसमें धर कर जाए,
भारतीय शेरों का नाम सुनते ही…
थर थर थर्रा कर मर जाए…!!!
लेकिन जब पाकिस्तान नाक रगड़कर, अपने मस्तक पर सिंदूर लगा सीजफायर को आया तो भारत में ही कुछ ऐसे अपवाद आने लग गए, जो सर्प के दंश भारतवर्ष की और लगा रहे थे, जो सिलसिला मध्यकाल में उत्तरप्रदेश के कन्नौज से शुरू हुआ (देशद्रोही और गद्दारी का) आज पूरे भारत में अपना विष फैला रहा है कि कुछ लोग :
कर्म भी न कर रहे, शर्म भी न कर रहे।
चंद पैसों की खातिर, खुद को बेच रहे।।
लेकिन जो हालत में आतंकिस्तान आया है, उसे देखकर वहां के हालात कुछ ऐसे दिखते है :
पाकिस्तान पेट से है,
बच्चे कभी भी हो सकते हैं,
199 होने की खुशखबरी,
कभी भी आ सकती है,
बालाकोट से सर्जरी हुई,
अब बच्चे जल्द ही आएंगे,
दुनियां के नक्शे पर,
नए मेहमानों की प्रतीक्षा है,
प्री मैच्योर में सिंध…
बलूच मैच्योर बेबी में,
जल्द ही जन्म लेंगे,
नए पाकिस्तान के पेट से…
बच्चों की किलकारियों से गूंजेगा,
पाकिस्तान का घर,
नए मेहमानों के स्वागत में…
पाकिस्तानी तैयार हैं अब…
स्वरचित लेख एवं रचित:
मुकेश कविवर केशव सुरेश रूनवाल