अनुराग लक्ष्य, 1 जून
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता ।
मशहूर ओ मारूफ कवयित्री और शाइरा डॉक्टर यास्मीन मूमल आज साहित्य और अदब के क्षेत्र मे किसी परिचय की मोहताज नहीं है। देश में होने वाले साहित्य और अदब के क्षेत्र मिलने वाले दर्जनों भर सम्मान में उनका एक खास सम्मान दिल्ली के स्लामिक सेंटर में दिया जाने वाला ,, हिन्दी रत्न ,, सम्मान भी प्रमुख है। जो उन्हें 2023 में दिया गया था।
आज वह फेस बुक से लेकर इंस्ट्राग्राम तक अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से जानी और पहचानी जा रही हैं। प्रस्तुत है उनकी एक ख़ास ग़ज़ल ।
1/ हो ख़ैरियत से जो पूछा सवाल अच्छा है
छुपा के ग़म कहा मैंने कि हाल अच्छा है ।
2/ ये क़त्ल करता है इन्सान का मुहब्बत से
नज़र में जलवा फ़िगन ये कमाल अच्छा है ।
3/ बिछड़ के इश्क़ में अब तक वो ज़िंदा कैसे रहा
ये मेरी रूह का दिल से सवाल अच्छा है ।
4/ जो वालिदैन का अपने ख़्याल रखता हो
तो ऐसे बेटे की देना मिसाल अच्छा है ।
5/ ख़ुदा की याद से ग़ाफ़िल न जो रखे मुझको
मिरी निगाह में वो माह ओ साल अच्छा है ।
6/ रहूंगी वस्ल की इद्दत में उम्र भर शायद
ग़मे जुदाई का ये इन्तक़ाल अच्छा है ।
7/ फंसी है इसमें मुहब्बत की इक हसीं मछली
निगाह ओ क़ल्ब पे फैला ये जाल अच्छा है ।
8/ हमेशा रहती थी जिसके लिए दुआ गो मैं
अब उसके नाम का रन्जो मलाल अच्छा है ।
9/ मोहब्बतों की ज़रूरत है यास्मीं सबको
ये किसने कह दिया जाहो जलाल अच्छा है ।