जननायक राहुल गांधी का संसद में ऐतिहासिक भाषण” पुस्तक का विमोचन, अजय राय बोले—अब तानाशाही नहीं चलेगी

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लखनऊ प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में गुरुवार को एक विशेष कार्यक्रम में “जननायक राहुल गांधी का संसद में ऐतिहासिक भाषण” नामक पुस्तक का लोकार्पण किया गया। इस पुस्तक का संकलन बदरे आलम ने किया है और इसका प्रकाशन मौलाना अब्दुल कय्यूम रहमानी फाउंडेशन द्वारा किया गया है। कार्यक्रम का संचालन उत्तर प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के वाइस चेयरमैन मनीष हिंदवी ने किया, जिन्होंने पुस्तक के महत्वपूर्ण अंश भी पढ़कर सुनाए।पुस्तक के विमोचन के अवसर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अजय राय ने कहा, “जननायक राहुल गांधी उम्मीद की एक लौ हैं इस अंधकार में। विपक्ष के नेता के रूप में उनका पहला भाषण न केवल ऐतिहासिक था बल्कि यह स्पष्ट संकेत था कि अब मोदी सरकार की तानाशाही प्रवृत्तियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भारत के संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए यह संघर्ष अब निर्णायक मोड़ पर है।”अजय राय ने पुस्तक के संकलनकर्ता बदरे आलम की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने इस ऐतिहासिक भाषण को दस्तावेजी रूप दिया है, जो जनचेतना को जगाने वाला है। उन्होंने कहा, “मैं इस किताब के व्यापक प्रचार-प्रसार में अपना पूरा सहयोग दूंगा ताकि यह हर हाथ में पहुंचे।”बदरे आलम ने पुस्तक के बारे में बोलते हुए कहा, “राहुल गांधी का यह भाषण सिर्फ एक वक्तव्य नहीं था, यह एक ऐलान था—भारत के लोकतांत्रिक मूल्य, संविधान और बहुलतावादी विचार के पक्ष में। हर भारतीय को यह भाषण पढ़ना चाहिए ताकि उन्हें समझ में आ सके कि असली भारत क्या है।”इस अवसर पर कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौजूद रहे। मंच पर पूर्व मंत्री राजबहादुर, डॉ. मसूद अहमद, पूर्व विधायक अखिलेश प्रताप सिंह, सतीश अजमानी, दिनेश कुमार सिंह, मुकेश सिंह चौहान, रूद्र दमन सिंह चौहान, अमित श्रीवास्तव त्यागी, नितिन शर्मा, डॉ. जिया राम वर्मा, एडवोकेट प्रदीप सिंह, सुशील तिवारी सोनू पंडित, द्विजेन्द्र त्रिपाठी, वीरेन्द्र मदान, प्रमोद सिंह, डॉ. लालती देवी, सुशीला शर्मा, अनामिका यादव, नीलम सिंह, रमेश मिश्रा, अरशद आजमी, प्रभाकर मिश्रा, राजेश जायसवाल, शैलेन्द्र तिवारी, नितान्त सिंह, विनोद राय सहित अनेक कांग्रेसजन उपस्थित थे।यह आयोजन न केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणादायी रहा बल्कि यह भी संदेश दे गया कि राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता और विचारधारा को अब संस्थागत रूप में दर्ज किया जा रहा है—एक ऐसा दस्तावेज जो वर्तमान दौर के लोकतांत्रिक संघर्ष की पहचान बनेगा।