मूल बिन्दु पर हुआ कुछ नहीं, धर्म से सबको जोड़ा है, अर्चना श्रीवास्तव,,,,,


अनुराग लक्ष्य, 18 मई
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता ।
सियासत जब जब देश समाज और इंसानियत के दायरे से बाहर हुई है, तब तब देश वासियों को दुख पीड़ा और असुरक्षा से गुजरना पड़ा है। कुछ ऐसी ही सदाकत से लबरेज़ आज एक कविता मेरे हाथ लगी है तो सोचा देश वासियों को भी उस कविता की आवाज़ से रूबरू करा दूं। खुशी की बात है कि यह कविता बस्ती ज़िले की उस कवित्री की है दुनिया अदब जिसे अर्चना श्रीवास्तव के नाम से जानती और पहचानती है। अर्चना जी की कविताओं और ग़ज़लों में यथार्थ को बहुत क़रीब से देखा और सुना जा सकता है। मैं सलीम बस्तवी अज़ीज़ी आज ऐसी ही एक कविता से आपको रूबरू करा रहा हूँ ।
,,, आखिर शांत हो गया अब तो मुद्दा पाकिस्तान का, बस शोर शराबा थोड़ा है।
चिता अग्नि अब शांत हो चुकी,
अस्थियाँ जल में छोड़ा है।
मूल बिन्दु पर हुआ कुछ नहीं,
धर्म से सब कुछ जोड़ा है।
ध्यान बंटा कर नदी के ऊपर,
ध्यान सभी का मोड़ा है।
उचित विकल्प निकाल सके ना,
खूब तमाशा जोड़ा है।
बंटवारे की राजनीति ने,
हिदुस्तान को तोड़ा है।
हुआ बहुत ही बार है ऐसा,
नहीं नया यह बखेड़ा है।
हिन्दू मुस्लिम की नफरत ने ,
” सूफिया” को भी न छोड़ा है।
कहाँ खड़ा है देश हमारा,
हमें सोचना थोड़ा है,
हाँ, हमें सोचना थोड़ा है ।,,,
स्वरचित रचना,
अर्चना श्रीवास्तव
बस्ती, उत्तर प्रदेश ।