तुम्हें दुनिया के नक़्शे से यक़ीनन हम मिटायेंगे।

एक नज़्म आपकी समाअतों के हवाले..

कि होली तुम ने खेली थी,दीवाली हम मनायेंगे,
पटाख़े ले कर हम भी देखना लाहौर आयेंगे।

छुपाओगे कहाँ तक हम से तुम मक्कारियाँ अपनी,
तुम्हें दुनिया के नक़्शे से यक़ीनन हम मिटायेंगे।

शहीदों के लहु का क़र्ज़ अब हमको चुकाना है,
जिना की क़ब्र पर जा कर तिरंगा हम लगायेंगे।

हमारी सर्जिकल स्ट्रोक को हल्के में मत लेना,
अभी ट्रेलर है ये पिक्चर तुम्हें पूरी दिखायेंगे।

पड़ोसी के फराएज़ से अभी वाक़िफ़ नहीं हो तुम,
पड़ोसी कैसे रहते हैं तुम्हें अब हम सिखायेंगे।

हमारी भारत माता को बहुत हल्के में मत लेना,
वगरना पूरा पाकिस्तान अब इस में मिलायेंगे।

इकहत्तर की लड़ाइ से सबक़ तुम ने नही सीखा,
नदीम उन से कहो जो बच गया है फिर गवायेंगे?

नदीम अब्बासी “नदीम”
गोरखपुर ॥