दोस्तों को तो सभी लोग दुआ देते हैं, बात तो जब है कि दुश्मन को दुआ दी जाए, रेशमा सिद्दीकी,,,,,

अनुराग लक्ष्य, 2 मई
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता ।
फतेहपुर शहर हमेशा उर्दू अदब का गहवारा रहा है। जंग ए आज़ादी से पहले भी अगर जाएं तो इस सरजमीं से बहुत सारे शोअरा हज़रत ने अदब की महफिलों में अपनी उम्दा शायरी से फतेहपूर की मिट्टी को ज़रखेज किया है।
खुशी की बात है कि उसी मिट्टी से, उसी शहर फतेहपूर से आज की तारीख में एक ऐसी शाइरा अदब की महफिलों में अपनी मयारी शायरी और संजीदगी के लिए जानी और पहचानी जा रही है। दुनिया ए अदब जिसे रेशमा सिद्दीकी के नाम से जानती और पहचानती है। आज पेश है उसी शाइरा रेशमा सिद्दीकी की एक खूबसूरत ग़ज़ल।
1/ आइए ज़ुल्म की बुनियाद हिला दी जाए,
है जो नफ़रत की वोह दीवार गिरा दी जाए ।
2/ बस मुहब्बत ही मुहब्बत का हो चर्चा हर सू,
आओ इस तरहा मुहब्बत को हवा दी जाए ।
3/ ज़िंदगी जितनी भी हम सबको मिली है आओ,
अपने माँ बाप की खिदमत में लगा दी जाए ।
4/ यह कोई रस्म है जो प्यार के रिश्ते तोड़े,
है यही रस्म तो यह रस्म उठा दी जाए ।
5/ दोस्तों को तो सभी लोग दुआ देते हैं,
बात तो जब है कि दुश्मन को दुआ दी जाए ।
6/ आओ नफ़रत के अंधेरों को मिटाने के लिए,
लौ मुहब्बत के चिराग़ों की बढ़ा दी जाए ।
7/ सबका मालिक है खुदा सबकी सुना करता है,
,रेशमा, आओ फ़कत उसको सदा दी जाए ।