महेन्द्र कुमार उपाध्याय
अयोध्या । ओजस्वी फाउंडेशन के अध्यक्ष और जगतगुरु परमहंस के उत्तराधिकारी महंत राजर्षी महंतएकनाथ महाराज ने वर्तमान समय के कुछ शंकराचार्यों की भूमिका पर कड़े सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जब देश और धर्म संकट में है, तो कई पीठाधीश्वर मौन बने हुए हैं।
एक भावनात्मक वक्तव्य में महंत राजर्षी ने आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार पीठों के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका लक्ष्य हिन्दू धर्म की रक्षा और उसका प्रचार करना था। उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि इतिहास के कई महत्वपूर्ण मोड़ों पर, जैसे भारत का विभाजन और पड़ोसी देशों से हिन्दू प्रभाव का कम होना, शंकराचार्यों ने धर्म की रक्षा के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया। उन्होंने सवाल किया कि क्या इन क्षेत्रों में हिन्दू संस्कृति के पतन के लिए शंकराचार्य जिम्मेदार नहीं हैं । महंत राजर्षी ने आगे कहा कि आज जब कोई हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए आगे आता है, तो उसे ही कठघरे में खड़ा कर दिया जाता है। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से शंकराचार्यों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि धर्म की रक्षा केवल भाषणों से नहीं होती, बल्कि इसके लिए मैदान में उतरकर काम करना होता है, जैसे एक क्षत्रिय करता है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वे उन शंकराचार्यों का अनुसरण नहीं करते जो केवल मीडिया और टीआरपी के लिए बोलते हैं, लेकिन हिन्दू समाज की पीड़ा को अनदेखा करते हैं। उन्होंने सभी हिन्दू संतों और समाज से एकजुट होने का आह्वान किया और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हिन्दू धर्म की रक्षा और पुनरुत्थान के लिए मिलकर काम करने की अपील की। महंत राजर्षी ने जोर देकर कहा कि यह धर्म किसी एक ब्राह्मण या पीठ का नहीं है, बल्कि पूरे हिन्दू समाज का है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर आज भी हिन्दू समाज नहीं जागा, तो इतिहास उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।