अपनी भूमिका के अनुसार जो सारे कर्म करता है, वही संन्यासी है, वही योगी है : समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया।

 

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

कुरुक्षेत्र : श्री दुर्गा देवी मन्दिर पिपली के पीठाधीश और समर्थगुरू मैत्री संघ हिमाचल के जोनल कोऑर्डिनेटर आचार्य डॉ. मिश्रा ने गुरुवार को विशेष श्री दुर्गा मां के संकीर्तन में कार्यक्रम में राजेश सिंगला और उनके परिवार को आदरणीय समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया द्वारा रचित श्रीमद्भगवद्गीता भेंट की गई। इस शुभ अवसर पर ऊषा शर्मा , अनु पाहवा, निशा अरोड़ा , कोमल मेहरा, पायल सैनी,आशा कवात्रा ,शिमला धीमान ,भक्त सुशील तलवाड़ और संगीता तलवाड़ के साथ सभी भक्तों ने मां दुर्गा की भेंटे गाई और सुन्दर नृत्य किया।
पण्डित राहुल मिश्रा ने वैदिक मंत्रों से मां दुर्गा की पूजा अर्चना और आरती करवाई।
डॉ. मिश्रा ने भगवान राम के सद्गुणों का गुणगान किया और सभी का जीवन मंगलमय हो उसके लिए ध्यान और सामूहिक प्रार्थना की।सभी सहयोगियों और भक्तों का हार्दिक आभार प्रकट किया और बताया कि समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया द्वारा रचित ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ सहजयोग के मार्ग को उजागर करती है। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कर्मयोग पर सर्वाधिक बल दिया है। सकाम कर्म बंध में और निष्काम कर्म मुक्ति में ले जाता है।
श्रीमद्भगवदगीता का बहुत सुन्दर भावानुवाद उन सभी को समर्पित है,जो भगवान कृष्ण को प्रेम करते है तथा गीता में प्रतिपादित सहजयोग के मार्ग पर चलना चाहते है। यह सभी साधकों के लिये पठनीय और संग्रहणीय है। जिसको समर्थगुरु धाम के गैलेरिया, मुरथल से साधक गण प्राप्त कर सकते है और अपने जीवन को बहुत सुंदर बना सकते है।
ट्वीटर के माध्यम से आदरणीय समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया ने बताया कि जिसका कर्म, फल पर आश्रित नहीं है, फल प्राप्त करने के लिए जो कर्म नहीं करता है, फिर भी,जो भी करने योग्य है,जो भी उत्तरदायित्व उसके अनुसार,अपने रोल के अनुसार,अपनी भूमिका के अनुसार सारे कर्म करता है, वही संन्यासी है, वही योगी है।