उन्मुक्त उड़ान मंच आपका अपना साहित्यिक मंच के तत्वाधान में साप्ताहिक कार्यक्रम का आयोजन मंच की संस्थापिका और अध्यक्षा डॉ दवीना अमर ठकराल ‘देविका’ के दिशा निर्देशन में विषय ‘एक रचनाकार होने के नाते हमारे कर्तव्य और अधिकार क्या हो सकते हैं, आपके विचार’ पर हुआ| आयोजन प्रभारी डॉ अनीता राजपाल ‘वसुंधरा’ ने ज्वलंत प्रश्न उठाया कि मर्यादित व्यवहार की परिभाषा क्या है। उनके अनुसार कर्तव्यों एवं अधिकारों के बीच की महीन रेखा को ध्यान में रखते हुए किया गया व्यवहार मर्यादित व्यवहार कहलाता है। रचनाकार यदि अपने कर्त्तव्यों तथा अधिकारों के प्रति सचेत है तो वह निश्चित तौर पर साहित्य के संसार में अपनी एक विशिष्ट पहचान बना सकता है। मनजीभाई बावलिया का मानना है कि सेवा, सद्भावना, सत्यता, करुणा आदि मानवीय गुणों को पोषित और मानवता का आदर्श समझना रचनाकारों की रचना ही कर सकती है। कुसुम लता ‘तरुषि’ के अनुसार वर्तमान समाज की समस्यों के सहज और कारगर समाधान हेतु आत्म मंथन करते हुए “शब्दों को औषधि” बना कर सरलता से विस्तृत विषय तैयार करना चाहिए। संजीव कुमार भटनागर ‘सजग’ का मानना है कि रचनाकार समाज का दर्पण होता है। एक रचनाकार केवल साहित्यकार नहीं होता, वह समाज सुधारक भी होता है। इसलिए उसके कर्तव्य और अधिकार दोनों महत्वपूर्ण हैं। रचनाओं में सत्य, कल्याण और सौंदर्य का समावेश होना चाहिए। साहित्य का उद्देश्य मनोरंजन से अधिक समाज को जागरूक करना चाहिए। अनु तोमर ‘अग्रजा’ के शब्दों में ईश्वर ने इतनी सुंदर प्रकृति दी है, उस पर सृजन कर जागरूकता फैलानी चाहिए। जो देश, समाज, परिवार और नव पीढ़ी को एक सकारात्मक सोच देगी| सुरेन्द्र कुमार बिंदल कहते हैं कि यदि हमारी लेखनी में निडरता, निर्भीकता और निष्पक्षता एवं सकारात्मक सोच होगी, तो हमारी लेखनी में चार चांद लगेंगे। श्योनाथ सिंह के अनुसार एक रचनाकार अपनी संपूर्ण ऊर्जा अपने कलम में भरकर उड़ेलता है। अत: रचनाकारों की जिम्मेदारी है कि अपनी लेखनी से मात्र चाटुकारिता न परोस कर सामाजिक परिवेश का चित्रण करे| अशोक दोशी ‘दिवाकर’ कहते हैं कि एक रचनाकार का कर्तव्य है कि विश्व, देश, सामाज, सृष्टि की हर समस्याओं पर चिंतन करे, एक सकारात्मक सोच के साथ समाज को संदेश दे| दिव्या भट्ट ‘स्वयं’ का मानना है कि अधिकार सदैव अपने साथ कर्त्तव्य लेकर आते हैं। रचनाकार का कर्तव्य है कि वह अपनी रचना से कोई मिथ्या भाव प्रकट न करें। अनाड़ी की तरह कुछ भी लिखना हानिकारक हो सकता है। रंजना बिनानी ‘काव्या’ कहती हैं कि अपने साहित्य द्वारा समाज को आईना दिखाएं। साथ ही समाज में आई विकृतियों व कुरीतियों को दूर करने के लिए भी और लोगों को जागृत करें| माधुरी शुक्ला के अनुसार रचनाकार को कर्तव्य निष्ठ होकर, रचना के लिए शोध कर, अच्छे से पढ़कर, रचना को प्रेषित करें| फुलचन्द्र विश्वकर्मा ‘भास्कर’ कहते हैं कि एक साहित्यिक रचनाकार चराचर जगत की स्थिति को अपनी रचना में स्थान देकर उनके कार्य व्यापार, गुण दोष, स्वभाव तथा उनसे समाज को होने वाले लाभ हानि से जगत को परिचित कराता है। भृगु नाथ ‘विराजू’ का मानना है कि एक रचनाकार का कर्तव्य है कि वह मौलिकता को बनाये रखे। हमारी रचनाओं का सामाजिक जीवन पर प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए कला और शिल्प के प्रति ईमानदार होना चाहिए| मंच की अध्यक्षा दवीना ‘देविका’ के शब्दों में अधिकार का सच्चा स्रोत कर्तव्य है। अगर हम सभी अपने कर्तव्यों का पालन करें, तो अधिकारों की तलाश करना दूर नहीं होगा। लेखक के काम की अखंडता, दूसरों के काम का उचित श्रेय देना, और अपने काम की सटीकता सुनिश्चित करना उसका कर्तव्य है। रचनाकार को अपनी रचना के कॉपी राइट का, नैतिक और आर्थिक अधिकार है| सप्ताह के अन्य दिनों में विश्व स्वास्थ्य दिवस पर नीतू रवि गर्ग ‘कमलिनी’ के संचालन में 11 रचनाकारों ने गीतात्मक अभिव्यक्ति से अच्छी सेहत का जीवन पर प्रभाव और सेहत सच्ची पूंजी को शब्द एवं भाव में व्यक्त किया| फुलचन्द्र विश्वकर्मा ‘भास्कर’ के संचालन में नवरात्रि आयोजन की समीक्षात्मक अभिव्यक्ति के अवसर पर 16 रचनाकारों ने शब्दों और गीतों के आधार पर समीक्षा करी| भाई बहन दिवस पर विषय अनूठा बंधन में शिखा खुराना के संचालन में जग के सबसे प्यारे रिश्ते पर 19 रचनाकारों ने अपने उद्गार व्यक्त किए| भगवान महावीर की जयंती पर वंदना भंसाली के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में 27 रचनाकारों ने अपनी आदरांजली अर्पित करी| सुरक्षित मातृत्व दिवस पर मनहरण घनाक्षरी विधा में रेखा पुरोहित ‘तरंगिणी’ के संचालन में 20 रचनाकारों ने मातृत्व के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हुये अपनी अभिव्यक्ति दी| सप्ताहांत में भक्ति और शक्ति का संगमः हनुमान जी – हनुमान जन्मोत्सव के पावन पर्व पर स्वैच्छिक विधा में 35 रचनाकारों ने भक्त शिरोमणि भगवान श्री हनुमान जी की जयंती पर भावों के श्रद्धा सुमन अर्पित किए| मंच अध्यक्षा डॉ दवीना अमर ठकराल ‘देविका’ ने पूरे सप्ताह आयी विभिन्न विषयों पर रचनाओं की समीक्षा करी और मार्गदर्शन किया| अशोक दोशी ‘दिवाकर’, सुरेश चंद्र जोशी ‘सहयोगी’ और संजीव कुमार भटनागर ‘सजग’ ने मनहरण घनाक्षरी में आयी रचनाओं की विवेचना करी और साहित्यकारों का विधान से परिचय कराया| अभिकल्प प्रभारी नीरजा शर्मा ‘अवनि’ ने लेखन प्रतिभागिता के साथ रचनात्मक कोलाज और नीतू रवि गर्ग ‘कमलिनी’ के सक्रिय सहयोग से सम्मान पत्र बनाए और प्रेषित करे| मीडिया प्रभारी कृष्ण कान्त मिश्रा के सक्रिय प्रयास से रचनाओं का संकलन उन्मुक्त आकाश में स्वछंद उड़ा|