महेन्द्र कुमार उपाध्याय
अयोध्या । रामनवमी महोत्सव के पावन अवसर पर, अयोध्या के प्रसिद्ध पीठ अशर्फी भवन में विराजमान सपरिकर लक्ष्मीनारायण भगवान जी का 79वां प्रतिष्ठा महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस ब्रह्मोत्सव में विविध धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया, जिसमें दक्षिण भारत से आए विद्वानों ने भगवान विश्वक सेन का विशेष पूजन और अर्चन किया।
दिव्य अनुष्ठान और महा अभिषेक
महोत्सव के दौरान, अंकुरारोपण हवन यज्ञ में विशेष औषधीय द्रव्यों से आहुति दी गई, जिससे वातावरण शुद्ध और पवित्र हो गया। इसके बाद, 108 रजत कलशों में सरयू जल, गौ दुग्ध, दही, घी, शहद, पंचामृत, सर्व औषधीय जल, मधु, सुगंधित इत्र और फलों के रस से भगवान का महा अभिषेक किया गया। दक्षिण से पधारे विद्वानों ने जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी धराचार्य जी महाराज के सानिध्य में यह दिव्य अनुष्ठान संपन्न कराया।
मध्याह्न काल में, भगवान की दिव्य फूल बंगला की झांकी सजाई गई, जो भक्तों के आकर्षण का केंद्र रही। इसके अतिरिक्त, तुलसी पुष्पों से 1008 अर्चना की गई और एक विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
इस अवसर पर, पूज्य महाराज जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी धराचार्य महाराज ने भगवत आराधना और अभिषेक के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यज्ञ भगवान का स्वरूप है और यज्ञ व भगवान का अभिषेक करने से आत्म शुद्धि और पर्यावरण शुद्धि होती है। उन्होंने यह भी कहा कि हम सभी जीव परमात्मा के अंश हैं और प्रभु हमारे अंशी हैं। इसलिए, हमें सदैव भगवान के स्मरण, चिंतन और आराधना में लगे रहना चाहिए।
भगवान के अभिषेक में शामिल हुए भक्तजन आनंदित हो गए और उन्होंने इस दिव्य अनुष्ठान को अपने जीवन का एक अविस्मरणीय पल बताया।