समाज सेवा को समर्पित भोपाल सिंह रावत आर्य, करनाल”

ओ३म्
“समाज सेवा को समर्पित भोपाल सिंह रावत आर्य, करनाल”
=============
समाज में रहकर देश और समाज के लिए कुछ सोचना, समाज के लिए निःस्वार्थ होकर कुछ करना, समाज को सही दिशा देना आदि को करने वाला व्यक्ति ही समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाता है। ऐसे गुणों का धनी व्यक्ति ही समाज सेवा को अपने जीवन का उद्देश्य व लक्ष्य बनाकर बनाकर समाज के लिए ही जीने मरने की बातें कहता है। जब किसी समाज में ऐसे व्यक्तियों का जन्म होता है तो उस समाज को न केवल सही दिशा मिलती है अपितु उस समाज की दशा भी सही हो जाती है। करनाल-हरयाणा में एक ऐसा व्यक्ति है जो समाज के लिए पूर्णतया समर्पित है और लगभग विगत 55 वर्षों से अपने समाज को बेहतर बनाने में क्रियाशील है। ये कर्मयोगी हैं भोपाल सिंह आर्य जिन्हें भोपाल सिंह रावत के नाम से भी जाना जाता है। श्री आर्य आर्यसमाज से जुड़े हैं और हरियाणा में निवास करते प्रशंसनीय समाज सेवा के कार्यों को कर रहे हैं।

श्री भोपाल सिंह आर्य का जन्म 7 अगस्त 1952 को देहरादून-उत्तराखण्ड में हुआ। इनकी माता का नाम श्रीमती संग्रामी देवी और पिता जी का नाम ठाकुर अमर सिंह रावत था। इनके पिता देहरादून में केन्द्र सरकार के अन्तर्गत एक सरकारी विभाग ‘सर्वे आफ इण्डिया’ में सेवारत थे। जब श्री भोपाल सिंह जी 10 वर्ष के थे तब इनके पिताजी का देहान्त हो गया था। पिता जी के देहान्त के बाद विभाग से जो धनराशि मिली उसमें से कुछ धनराशि उनकी माताजी ने गुजारे के लिए रखकर शेष धनराशि से कृषि करने के लिए भूमि खरीद ली और उस भूमि पर कृषि कार्य कराने लगीं। चैथी कक्षा पास करने के बाद बालक भोपाल सिंह जी को इनके एक संबंधी जो करनाल में सेवारत थे, करनाल ले आये। उन्होंने भोपाल सिंह जी की आगे की शिक्षा के लिए डी.ए.वी. स्कूल में पांचवी कक्षा में प्रवेश करा दिया। कुछ समय पश्चात इनके रहने का प्रबन्ध करनाल के श्रद्धानन्द आश्रम में करवा दिया ताकि बालक यहां रहकर सन्ध्या व हवन सहित वैदिक संस्कारों को सीख सके व अपने जीवन को उत्तम गुणोवाला बना सके। दसवीं कक्षा तक इन्होंने करनाल में स्कूली शिक्षा ग्रहण कीं। इस कालावधि में यह ऋषि दयानन्द द्वारा प्रचारित सनातन वैदिक धर्म के सिद्धान्तों और आर्यसमाज के क्रिया कलापों से भी परिचित होते रहे।

दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद इन्होंने प्राइवेट नौकरी करनी आरम्भ कर दी। नौकरी के साथ-साथ आर्यसमाज के प्रचार कार्यों में भी आप सहयोग करते रहे। इन्हीं दिनों इनके मन में विचार आया कि सरकारी नौकरी प्राप्त करने का प्रयास किया जाये। पहले इन्होंने सुपर टायर, करनाल में रात की प्रावईट नौकरी करनी आरम्भ की और दिन में आईटीआई में 1972-74 में अध्ययन करके 2 वर्ष का ‘वायरमैन’ का डिप्लोमा प्राप्त किया। पढ़ते समय इन्हें खेलों का भी शौक था। तेज दौड़ लगाने में यह प्रवीण थे। 1969-70 में जिला स्तरीय खेलों में 500 मीटर की दौड़ में आपने जिले में प्रथम स्थान प्राप्त करके सबको चकित कर दिया था। दौड़ के साथ यह फुटबाल के भी अच्छे खिलाड़ी रह चुके हैं। फुटबाल में आप करनाल की जिला स्तरीय फुटबाल टीम के एक सदस्य भी रहे हैं।

जब देश के जनप्रिय नेता जयप्रकाश नारायण जी ने प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी द्वारा देश में की जा रही ज्यादतियों के विरुद्ध बड़े पैमाने पर आन्दोलन छेड़ा, तब उनकी प्रेरणा से नौकरी छोड़ कर वे इस आन्दोलन में कूद पड़े थे। इन्होंने बाबा मूलचन्द जैन, महिन्द्र सिंह लाठर, कामरेड दया सिंह जैसे जन नेताओं के साथ उस आन्दोलन में गिरफ्तारी दी थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल के इशारे पर अनेक आन्दोलनकारी नेताओं सहित इन पर भी दुकानें लूटने का 18 मास तक झूठा केस चलाया गया जिसमें बाद में ये ससम्मान दोषमुक्त होकर बरी हुए। समाज सेवा के कार्यों के साथ-साथ रावतजी सरकारी नौकरी की खोज में भी फिरते रहे और अप्रैल 1977 में वायरमैन के डिप्लोमा के आधार पर इन्हें हरियाणा के बिजली विभाग में सरकारी नौकरी मिल गई। 17 अक्तूबर 1980 को इनकी शादी पौड़ी गढ़वाल की रामेश्वरी देवी जी के साथ हुई। इनकी दो पुत्रियां और एक पुत्र हैं। तीनों सन्तानें बौद्धिक क्षमताओं से युक्त निकलीं। आपकी बड़ी बेटी मनीषा एम.ए. बी.एड. हैं और वर्तमान में प्राईवेट सीनियर सेकेण्डी स्कूल जुंदला में प्राचार्या के पद पर आसीन है। दूसरी पुत्री विदुषी एमएससी, एमबीए एवं नैट क्वालीफाइड करके प्रोफेसर के पद पर नियुक्त है। आपके सुपुत्र आदित्य रावत, बीएससी, एमबीए के पश्चात एक कम्पनी में प्रबन्धक के पद पर कार्यरत हैं। तीनों सन्तानें विवाहित हैं और सब अपने परिवारों के साथ सम्मानित जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

अपनी जुझारू प्रकृति के कारण सरकारी सेवा के आरम्भिक वर्षों में श्री भोपाल सिंह आर्य ‘सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा’ की गतिविधियों में बढ़ चढ़ कर भाग लेने लगे। वर्ष 1980 में तत्कालीन बंसी लाल सरकार से अपनी मांगे मनवाने के लिए राज्य कर्मचारियों ने जबरदस्त आन्दोलन किया था। सरकार ने आन्दोलनकारियों को जेल में डाल दिया था तब आप 25 दिन तक रोहतक जेल में बन्द रहे थे। गृहस्थ जीवन में रहते हुए व नौकरी करने के साथ-साथ रावत जी ने सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया। वर्ष 2001 में गुजरात में आए विनाशकारी भूकम्प ने देश को हिला दिया था। वहां भूकम्प पीड़ितों की सहायता करने के लिए रावत जी ने अपने विभाग से एक माह कि छुट्टी मांगी, जिसे अस्वीकार कर दिया गया। सरकारी सर्विस के निलम्बन की आशंका के बावजूद श्री भोपाल सिंह जी गुजरात जाने से नहीं रुके और पीड़ितो की मदद के लिए एक ट्रक में वस्त्र एवं भोजन सामग्री लेकर गांधीधाम पहुंचें। यहां एक मास रहकर आपने पीड़ित व्यक्तियों की सेवा की।

अपने अथक सेवाभाव एवं सामाजिक कार्यों में निरन्तर जुटे रहने के गुण से श्री भोपाल सिंह रावत आर्य जी ने समाज को बहुत लाभ दिया है। शिक्षा व सामाजिक सेवा के कार्यों में सहयोग के साथ-साथ आप द्वारा लगातार अनेक कार्य किए जा रहे हैं जैसे गरीब व असहाय बच्चों की पढ़ाई के लिए फीस की राशि, किताबों, डैªस व स्कूल बैग का प्रबन्ध करवाना, कन्या गुरुकुल नजीबाबाद में गरीब कन्याओं की पढ़ाई हेतु अपने गृह नगर करनाल के दानी सज्जनों के घर-घर जा कर प्रति मास लगभग तीस हजार रुपये से अधिक धनराशि एकत्र करके गुरुकुल को भिजवाना, ऐसे ही कोलकत्ता आदि के अन्य तीन-चार कन्या गुरुकुलों को भी धन एकत्र करके सहायता करना, महर्षि दयानन्द सेवा आश्रम, बैजरों, पौड़ी गढ़वाल में गरीब कन्याओं व महिलाओं को मुफ्त सिलाई-कढ़ाई आदि प्रशिक्षण हेतु दी जा रही सेवाओं के लिए प्रतिवर्ष विभिन्न स्थानों से धन एकत्र करके लगभग 60-65 हजार रुपये सहयोग रूप में भिजवाना प्रमुख है। आपके प्रयासों से कोलकत्ता के कन्या गुरुकुुल को लगभग 15 लाख रुपये की धनराशि प्राप्त हुई है।

श्री भोपाल सिंह आर्य जी समाज सेवा की अपनी ललक के परिणामस्वरूप समय-समय पर कई सामाजिक संगठनों में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन रहे हैं। आप 20 वर्षों तक आर्यवीर दल करनाल के मण्डल-पति, 15 वर्ष तक प्रधान गढ़वाल सभा करनाल, 10 वर्ष तक प्रधान उत्तराखड सभा करनाल, 5 वर्ष तक संगठन सचिव उत्तराखण्ड प्रतिनिधि सभा हरियाणा, 15 वर्ष तक आर्य केन्द्रीय सभा करनाल के महामंत्री रहे हैं। आप वर्षों से आर्ष कन्या गुरुकुल नजीबाबाद के महामंत्री के पद पर आसीन हैं। श्री भोपाल सिंह रावत की इन्हीं सामाजिक गतिविधियों को देखते हुए समय समय पर अनेक संस्थाओं ने इन्हें अपने सम्मानों से अलंकृत भी किया है। रावत जी को आर्य प्रतिनिधि सभा के द्वारा सन् 2010 में जयानन्द भारती जन सरोकार सम्मान, आर्य उप प्रतिनिधि सभा गढ़वाल द्वारा 2010 में महर्षि दयानन्द सम्मान, 2011 में भारतीय दलित अकादमी दिल्ली के द्वारा भगवान बुद्ध नैशनल फैलोशिप अवार्ड, 2012 में उत्तराखण्ड समाज प्रतिनिधि सभा हरियाणा में फरीदाबाद में एक कार्यक्रम में एक शाल भेंट कर समाज सेवा सम्मान, 2013 में गुजरात की महामहिम राज्यपाल कमला बेनीवाल जी द्वारा ‘समाज सेवा सम्मान’, उत्तराखण्ड के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री श्री सुरेन्द्र नेगी के द्वारा 2014 में नशाबन्दी परिषद्, उत्तराखण्ड सरकार द्वारा समाज सेवा सम्मान पत्र, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा 2014 में शान-ए-हरियाणा अवार्ड व 2016 में हिमाचल प्रदेश के महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी द्वारा ‘समाज सेवा सम्मान’ से नवाजा गया।

श्री भोपाल सिंह रावत आर्य करनाल में आर्यसमाज सहित अनेक सामाजिक कार्यों में तन, मन, धन से लगे हुए हैं। आपकी समाज सेवा की भावना एवं ईमानदारी को देखते हुए आचार्य देवव्रत जी, महामहिम राज्यपाल हिमाचल प्रदेश ने आपको वेद प्रचार का कार्य संचालन करने एवं गुरुकुल की गतिविधियों को दृष्टि में रखने के लिए वर्ष 2014 में गुरुकुल कुरुक्षेत्र ले गए। कुछ समय पहले जब राज्यपाल महोदय कुरुक्षेत्र पधारे थे तो करनाल के एक आर्य ने उनसे कहा था कि आप हमारे करनाल के हीरे को कुरुक्षेत्र ले आये हैं। राज्यपाल महोदय ने उन्हें उत्तर दिया था कि आप हीरे की ऊर्जा का पूर्ण उपयोग नहीं कर रहे थे। यहां इनकी क्षमता का भरपूर उपयोग लिया जा रहा है।

श्री भोपाल सिंह रावत आर्य जी दिनांक 31 अगस्त, 2010 को हरियाणा सरकार की सेवा से जूनियर इंजीनियर के पद से सेवामुक्त हुये। विगत 15 वर्षों से वह सेवानिवृति का जीवन व्यतीत करते हुए समाज सेवा के अनेक कार्यों में लगे हुए हैं। ऐसे कर्मयोगी भोपाल सिंह आर्य जी को हम प्रणाम करते है और आशा है कि वह समाज के लिए अपने कार्यों को शेष जीवन में भी जारी रखेंगे।

-मनमोहन कुमार आर्य