कलवारी बस्तीः असत्य पर सत्य का बिजय पाने के लिए धरती पर प्रभु श्रीराम का अवतार हुआ था।लोग कहते हैं कि सत्य बोलना कठिन है और उतना ही कठिन है।स्व धर्म का पालन करना,पर राम का चरित्र दोनो से परिपूर्ण है।अगर मानव सत्य और धर्म का कड़ाई से पालन करे तो आज भी समाज की दिशा बदल जायेगी ।
यह सदबिचार अवध धाम से आयीं कथा वाचिका प्रतिभा मिश्रा जी ने हठ्ठी माता मंदिर अगौना में शतचंडी महायज्ञ के अवसर पर चल रही नौ दिवसीय संगीतमयी श्री रामकथा के अंतिम दिन ब्यास पीठ से प्रबचन सत्र मे कही।उन्होंने शबरी राम के प्रसंग से राजतिलक तक की कथा को बिस्तार देते हुए कहा कि शबरी प्रेम व भाव से भगवान के दर्शन के लिए लालायित रही ,भगवान ने दर्शन देकर भिलनी के मनोकामना पूर्ण किया।और नवधा भक्ति का बर्णन करते हुए कहा सत्संग, कथा मे प्रेम,गुरु के बताये गये मार्ग पर चलना,दृढ़ बिस्वास के साथ कार्य करना, इन्द्रियो पर संयम रखना,अच्छी संगत मे रहना,आराध्य देव का दर्शन करना, संतोष रखना, स्वप्न मे भी दूसरे के दोष को न देखना, मानव जीवन को सरल बनाना।नौ भक्ति मे से मानव अगर एक भी अपना ले।तो जीवन धन्य हो जायेगा ।हनुमान ने राम सुग्रीव मित्रता का तात्पर्य महात्मा ने जीवात्मा से परमात्मा का मित्रता कराया।जीव अपने जीवन की उर्जा भक्ति के खोज मे लगाये तो जीवन सार्थक हो जायेगा।हनुमान जी भक्ति की खोज करने मे तमाम बाधाएं आयी थी।उन्होने भरथ चरित्र को हम लोगो केलिए आदर्श बताते हुए कहा हर ब्यक्ति भरत की राह पर चल पड़े तो दुनिया स्वर्ग हो सकती है ।भौतिक सुख सम्पदा को छोड़कर बन जाने के बाद समाज के पिछड़े लोगों को संगठित कर बुराई का प्रतीक रावण का बध किया ।और बनवास की अवधि पूरी होने के बाद भगवान अयोध्या आये और चौदह बर्ष बाद अयोध्या वासियो के रामराज्य के स्थापना की इच्छा पूरी हुई। और धूमधाम से राम का राज्याभिषेक हुआ।
कलवारी – शतचंडी महायज्ञ के अंतिम दिन यज्ञाचार्य सुरेन्द्र शास्त्री ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन कराया। जिसमें क्षेत्र के तमाम श्रद्धालु शामिल हुए। लो ने हवन अनुष्ठान के बाद यज्ञ मण्डप की परिक्रमा कर भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया।