*नवरात्र पर्व एक खोज है*
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डॉ जयप्रकाश तिवारी
बलिया/लखनऊ, उत्तर प्रदेश
नवरात्र पर्व एक खोज है, एक अनुसंधान है, अपनी तपः पूत साधन का, अंतः की और अंतस की भी, साथ ही वाह्य जगत की भी।काली और महाकाली अर्थात “डार्क इनर्जी”, “तमस शक्ति”। बौद्धिक विज्ञान जगत में अभी भी है अज्ञात यह ‘गहनगूढ़ कालिमा, महत्वपूर्ण ‘डार्क एनर्जी’। ‘डार्क-मैटर’ की इस कालिमा को, इस चेतना – संचेतना… को हम खोज ही पाए हैं अभीतक कितना? विज्ञान स्वीकारता है – “मात्र छ: प्रतिशत ही”। इस गूढ़ रहस्य का, चौरानबे प्रतिशत तो अभी भी अनजान, अज्ञात। कौन करेगा आगे अब इसकी पहचान? छिपा है इसी में सारा रहस्य अज्ञात, गूढ़ और अंजान।
नवरात्र पर्व अनुसंधान है – इसी गूढ़ रहस्य की। शैल-चट्टानों में ढूँढा हमने चेतना शक्ति अग्नि, ऊष्मा शक्ति को। इसी शक्ति को शैलपुत्री नाम दिया है, एक अलग विशिष्ट पहचान दिया है। … और जो सिद्धांत गुम्फित है इसमें है नाम उसी का “ब्रह्मचारिणी”। स्वर-संगीत को जाना हमने इस ‘चन्द्र घंटा’ केगहन सूत्र से, अक्षर के विन्यास से शब्द – अर्थ – भावार्थ, निहितार्थ – संकेतार्थ से। इस शब्द और अर्थ के गहन मंथन से निकला जो कुछ, वह एक “मंत्र” हुआ, कही “तंत्र” हुआ, कहीं वही एक “यंत्र” हुआ।संवेगमयी गीत हुआ, भवमयी संगीत हुआ, नवनीत हुआ…, आगे चलकर अपना ही अभिन्न मनमीत हुआ।
जब मीत हुआ तब भीत मिटा, जब बदली दृष्टि, चिंतन भी तब बदला। इस शब्द अर्थ के मंथन से ही, चिंतन – संवेदना के कम्पन से ही जो थी क़ाली, अब वह गोरी हुई। हुई गौर वर्ण, वह – ‘गौरी’ हुई। सिद्धिदात्री हुई, किंतु संपूर्ण सिद्धि अभी मिली कहां इस शोध से? अरे वही अब ‘दुर्गा’ …हुई.., ‘नव दुर्गा’ ….हुई। त्रास से, तृण से, तृष्णा से तारणहार हुई। मां, माता और मातृ शक्ति को नमन।
विज्ञान जगत भी पीछे पड़ा हुआ है, प्रज्ञान जगत से लेकर शिक्षा प्रयोगशाला में डटा हुआ है। अनुगमन प्रक्रिया अभी भी जारी है। अब भाषा भी उसकी बदल गई है, प्रकरांतर से विज्ञान ने भी इसे मान लिया है। कुछ न कुछ पहचान लिया है। तभी तो आइंस्टीन बनकर बोला – “गॉड प्लेज डाइस”, हाकिंस बनकर बोला – “गॉड डज नॉट प्ले डाइस”। जो खेल रहा है, ईश्वरीय शक्ति है। आप्तकाम का स्वभाव, कामना, वर्तन, नृत्य और नर्तन है। भौतिकता में ही छिपी अध्यात्म शक्ति वही है। अब इस “गॉड पार्टिकल” की खोज अभी जारी है करके अनुगमन अध्यात्म जगत की, अध्यात्म ही अब बन जाने की उसकी तैयारी है।
जाने कब वह शुभ दिन आएगा? दिव्यता का साम्राज्य यहां कब छाएगा।अब मां ही उनको राह दिखायेगी, सन्मार्ग पथिक बनाएगी। इस शोध प्रवृत्ति का है अभिनंदन! मातृ शक्ति के चरणों में अर्पित, समर्पित मेरा भाव भरा नमन, अभ्यर्थन और बारंबार वंदन।