बस्ती – अक्सर होली का त्यौहार मनाते हुए लोग जोश में होश खोते देखे जाते हैं, जबकि होली समरसता का त्यौहार है इसको पूरे जोश और होश के साथ मनाने पर इसका रंग और पक्का हो जाता है और आनन्द भी कई गुना बढ़ जाता है। ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने होली के त्यौहार को पकवानों और प्राकृतिक रंगों से पारंपरिक गीतों के साथ मनाने और रासायनिक रंगों से परहेज करने का सुझाव दिया है।साथ ही उत्सव की गरिमा को बनाए रखने के लिए उन्होंने मांसाहार को छोड़ने की भी सलाह दी है। स्वामी दयानन्द विद्यालय सुरतीहट्टा बस्ती में आयोजित साप्ताहिक यज्ञ के अवसर पर उन्होंने बताया कि होली आपसी भेदभाव को भूलकर मिलने और मिलाने का त्यौहार है। इसे उसी भाव से मनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि मांस जहाँ मनुष्य शरीर के लिए हानिकारक है वहां मन, बुद्धि और आत्मा के लिए भी जहर है। वेदों में खाने पीने के सम्बन्ध में गेहूँ, जौ, चावल आदि अनाज तथा फल, सब्जी, दूध, घी आदि का वर्णन है मांस का कहीं भी नहीं।मांस में यूरिक एसिड आदि कई प्रकार के विष तथा रोगकारक अंश पाए जाते हैं जबकि शाकाहार से रोगनाशक शक्ति प्राप्त होती है। इसलिए हमें सौहार्दपूर्ण तरीके से त्यौहार मनाना चाहिए। इस अवसर पर विद्यालय के शिक्षक शिक्षिकाएं और बच्चे सम्मिलित हुए।