📚📚 ओ३म् 📚📚
*ज्ञानकुंभ स्नान कक्षा-१५*
🪔ब्रह्मांड का पंचम तत्व ईश्वर ! 🪔
कल की कक्षा में हमने जाना कि केवल *ईश्वर ही नहीं अपितु और भी अनेकों पदार्थ संसार में हैं* जो आंखों से नहीं दिखाई देते,मगर उनकी सत्ता को हम बिना देखे भी स्वीकार करते हैं।जैंसे आग में ऊष्णता,बर्फ में शीतलता,तिलों में तेल आदि-आदि।गतांक से आगे…………………
कोई भी वस्तु जो होते ही भी नहीं दिखाई देती उसके *शास्त्रों में 7 (सात कारण)* बताये गये हैं।वो कौन से सात कारण हैं विचार करते हैं!
✍️ *आओ इसका पता लगायें*✍️
*[१]* कोई वस्तु इसलिए नहीं दिखाई देती क्योंकि वो *बहुत ही निकट* है।जैसे आंख में काजल ।
*[२]* कोइ वस्तु इसलिए भी नहीं दिखाई देती वो *बहुत दूर है।* जैंसे अंतरिक्ष,द्यु लोक आदि।
*[३]* कोई वस्तु *अत्यंत बड़ी* होने से नहीं दिखती जैंसे आकाश,सूर्य आदि।
*[४]* कोई वस्तु *व्यवधान होने के कारण* भी नहीं दिखाई देती जैंसे बादल में सूर्य।झिल्ली में बच्चा।
*[५]* कोई वस्तु इसलिए भी नहीं दिखाई देती है क्योंकि वो *अत्यंत सूक्ष्म* है।जैंसे तार में बिजली आदि।
*[६]* कोई वस्तु इसलिए भी नहीं दिखाई देती है क्योकि उनमें *स्थान,काल व ज्ञान* की दूरी होती है!
*[७]* आंख में मोतिया बिंदु व *मल-विक्षेप-आवरण* के कारण भी बहुत सी वस्तुएं दिखाई नहीं देती।
अब इन्हीं सात वस्तुओं में *खोज करने से* पता लग जायेगा कि वो कौन से कारण हैं कि *ईश्वर सदा वर्तमान होते हुए भी* दिखाई क्यों नहीं देता?
🍁 *गहन खोज जरूरी है*🍁
इनमें पहले के जो पांच कारण बताये हैं वो तो फेल हो जाते हैं क्योंकि *ईश्वर निकट भी है।दूर भी है।बड़ा भी है। सूक्ष्म भी है। विध्न व व्यवधानों के भीतर भी है!* अब बचे कारण संख्या [छ: और सात! ]
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*कारण ६और ७ का परीक्षण*
*कारण छ:* छठे कारण में बताया कि दूरियां तीन प्रकार की होती हैं।
*(१)* स्थान की दूरी।जैसे अमेरिका यहा़ से दूर है।मगर यह स्थान की दूरी परमात्मा में नहीं है।क्योकि परमात्मा *कण-कण* में है।मगर *कण-कण परमात्मा* नहीं होता।
*(२)* दूसरी दूरी काल की है।यह दूरी भी परमात्मा में नहीं है क्योंकि परमात्मा *तीनों कालो में* सदा उपस्थित रहता है।
🛕 *तीसरा ज्ञान की दूरी*🛕
यह जो तीसरी ज्ञान की दूरी बताया है यह विचारणीय है।इसे हम आपको एक *उदाहरण* से समझाते हैं।ध्यान से पढ़ें! एक विद्यार्थी ने अपने माता-पिता से कहा में *विज्ञान वर्ग* से नहीं पढुंगा *कला वर्ग* से पढुंगा।क्योकि *साईंस मेरे वश* का नहीं है,अर्थात् विज्ञान मेरे पल्ले नहीं पढ़ता।मतलब जिस विषय को मैं नहीं जानता *वो मुझसे दूर* है।इसी का नाम है *ज्ञान की दूरी*।
अत: समाधान हो गया कि *परमात्मा भी हमारे पल्ले* नहीं पढ़ता यही सही है कि ज्ञान की दूरी के कारण हमें सदा वर्तमान रहने वाला परमात्मा नहीं दिखाई देता। इसका मूल कारण अविद्या है। विद्या की प्राप्ति यानि *पांचों विषयों शरीर,मन,बुद्धि,आत्मा व परमात्मा का तत्वज्ञान* होते ही ज्ञान की दूरी समाप्त है जाती हैऔर ईश्वर का साक्षात्कार भी हो जाता है।
🌻 *सातवां कारण*🌻
जैंसे मोतिया बिंद के कारण *आंख* नहीं देख पाती वैसे ही *मल-विक्षेप-आवरण* के चलते जीवात्मा परमात्मा को नहीं देख पाता है।
🥣 *सत्य जिज्ञासा*🥣
यह *मल-विक्षेप-आवरण* क्या है?
🏵️ *यथार्थ उत्तर*🏵️
दूसरों को हानि पहुंचाने का विचार व आत्मा पर पापों के जो संस्कार पड़ते है उसे *मल* कहते हैं। लगातार विषयों का चिंतन व मन की चंचलता को *विक्षेप* कहते हैं। तथा नाशवान संसार के पदार्थों व संबंधों के अभिमान को *आवरण* कहते हैं।
🥣 *सत्य जिज्ञासा*🥣
मल, विक्षेप, आवरण को कैंसे नष्ट करें कि ईश्वर का साक्षात्कार हो सके?
🌹 *यथार्थ उत्तर*🌹
जी। वेद ज्ञान से *मल*।निष्काम कर्म से *विक्षेप* व विशुद्ध वैदिक भक्ति (उपासना) से *आवरण* नष्ट होकर हृदय में जीव को *परमात्मा की अनुभूति* हो जाती है।शेष कल………….
आचार्य सुरेश जोशी
*वाटसप गुरुकुल महाविद्यालय* आर्यावर्त्त साधना सदन दशहराबाग बाराबंकी उत्तर-प्रदेश।