शादी की सैतीसवी सालगिरह की दिली मुबारकबाद, सुबह सुनहरी दिन सोना हो और चांदनी रातें, जिधर भी जाओ उन राहों पर ख़ूब मिलें सौगातें, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी,,,,

अनुराग लक्ष्य, 29 जनवरी
मुम्बई संवाददाता ।
यूं तो कुदरत ने अपनी इस कायनात में अपने वजूद की तमाम निशानियाँ ज़ाहिर की हैं। लेकिन खुशी की बात है उन्हीं निशानियों में बस्ती की सरजमीन पर एक ऐसी खूबसूरत निशानी अता की है, दुनिया ए अदब जिन्हें विनोद कुमार उपाध्याय के नाम से जानती और पहचानती है।
मेरे दिल के बहुत ही अज़ीज़ मेरे प्रिय मित्र विनोद कुमार उपाध्याय की शादी की आज 37 वीं सालगिरह के मौके पर मैं सलीम बस्तवी अज़ीज़ी आज दिल की गहराइयों से उन्हें दिली मुबारकबाद देते हुए उनके दाम्पत्य जीवन की सुख और समृद्धि की दुआ करता हूँ कि वोह और उनका दाम्पत्य जीवन हमेशा ऐसे ही हंसता और मुस्कुराता रहे। इन पंक्तियों के साथ कि,
,,, सुबह सुनहरी दिन सोना हो और चांदनी रातें,
जिधर भी जाओ उन राहों पर ख़ूब मिलें सौगातें।
चंदा तारे जुगनू सारे सब हों तेरे दामन में
रिमझिम रिमझिम खुशियों की हों आंगन में बरसातें ।।
मौला से दुआ है कि वोह आपको दोनों जहान की नेमतों से सरफराज़ी अता फरमाए।