*ज्ञानकुंभ स्नान कक्षा-१३*-आचार्य सुरेश जोशी

✍️✍️ ओ३म् ✍️✍️
*ज्ञानकुंभ स्नान कक्षा-१३*
प्रिय पाठक वृंद हमने पिछली कक्षा में *ब्रह्माण्ड के चोथे तत्व आत्मा के बारे में जाना कि आत्महत्या नहीं होती आत्मा का हनन* होता है।हनन का मतलब बुरे कर्म करने से आत्मा पतित होकर मानवेतर योनियों में जाती है। एक योनि से दूसरे योनि में जाना ही *सत्य सनातन वैदिक धर्म में पुनर्जन्म* कहाता है। गतांक से आगे………………
🛕🛕 यक्ष प्रश्न ? 🛕🛕
[१] *पुनर्जन्म क्या*
*क्या है?*
[२] *पुनर्जन्म की प्रमाणिकता क्या है?*
[३] *पुनर्जन्म याद क्यों नहीं आता है?*
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🛕🛕 समाधान 🛕🛕
*पुनर्जन्म क्या है?*
संसार में दो ही पथ हैं।एक श्रेय और दूसरा प्रेय पथ।श्रेय मार्ग मतलब *उत्थान*।प्रेय मारग का मतलब *पतन*। श्रेय मारृग पर चलते रहने के दो परिणाम होते हैं *एक* मुक्ति का मार्ग और *दूसरा* श्रीमंतों के घर में जन्म। अब बचा *प्रेय मार्ग* इस मार्ग पर चलने वाले लोग भोगी विलासी प्रवृत्ति के होते हैं।इनका जब शरीर छूटता है तो नाना प्रकार के पशु पक्षी कीट पतंगों में इनका जन्म होता है।इसी का नाम है *पुनर्जन्म* इसका धर्म व मजहब से कोई मतलब नही है। यह एक गणित की सवाल की तरह है कि *२×२=४* जैंसे यह गणित *हिंदू,मुसलमान,सिक्ख,इसाई,बौद्ध,जैन सहित मानव मात्र* को स्वीकार है उसी प्रकार पुनर्जन्म भी एक सर्वमान्य गणित की तरह है।
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*[२] पुनर्जन्म की प्रमाणिकता*
आपको मेरी *इन तीन प्रश्न वाली बातों* को ध्यान से पढ़ना है।जब आप पढ़ लेंगे ध्यान से तो आप खुद ही कहेंगे पुनर्जन्म होता है! तो आइये तीनों प्रश्नों को प्रारंभ करते हैं…………..
*(१)* प्रथम प्रश्न कि न्याय क्या है? पहले कर्म फल मिले या पहले कर्म करें तब फल मिलें?
आपका उत्तर होगा कि पहले आदमी कर्म करे, फिर फल प्राप्त करे! व्यवहार में भी यही होता है।कर्मचारी एक माह काम करता हैओर माह के अंतिम दिन वेतन के रुप में कर्म फल मिलता है।
*(२)* दूसरा प्रश्न। आपको जो मानव शरीर मिला है वो *फ्री में मिला* है या आपके कर्मों के फल स्वरूप में मिला है।आपका उत्तर होगा? कर्मों के फल स्वरूप ही मिला है।
*(३)* तीसरा ओर अंतिम प्रश्न जो दूसरे प्रश्न से ही जुड़ा प्रश्न है ,वह यह कि- *जिन कर्मों के फल स्वरूप आज यह मानव शरीर मिला है* वो कर्म आपने इस जन्म को लेने के बाद किये थे या जन्म से पहले पिछले शरीर में?
आपका सीधा उत्तर होगा कि पिछले जन्म में।बस *इसी का नाम ही तो पुनर्जन्म* है।अत:पुनर्जन्म एक गणितीय व वैज्ञानिक प्रक्रिया है इसे नकारा नहीं जा सकता है। सनातन धर्म भी विशुद्ध विज्ञान ही है।
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*(३) पुनर्जन्म की स्मृति क्यों नहीं होती* ?
इसका मुख्य कारण है अविद्या व जिव की अल्पज्ञता।पूर्वजन्म तो क्या *इसी जन्म की दो -तीन साल की ९५% बातें हम आप* भूल जाते हैं।इतना ही नहीं इसी जन्म में प्रतिदिन *जाग्रत व स्वप्न अवस्था में जीव जो देखता है उसे सुषुप्ति अवस्था में हम प्रतिदिन भूल जाते हैं।*
कभी -कभी ईश्वर की सृष्टि में कुछ ऐंसे बच्चों का जन्म होता है जो ये बताते हैं कि पूर्वजन्म में हम कौन थे!उनकी बातों पर खोज की तो वो सत्य होता है।मगर वो बच्चे भी जैंसे-जैंसे बड़े होते हैं सब कुछ भूल जाते हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि *स्मृतियों का चेतना से संबध हट जाता है* अध्यात्म वादियों का कहना है कि यह भी ईश्वर की महान कृपा है जीवों पर।यदि पता लग जाय जो आज मेरा पिता है वो पिछले जन्म में गधा था तो बड़ा अनर्थ हो जायेगा।इसलिए प्रभु का धन्यवाद करो कि पुनर्जन्म याद नहीं रहता। *आत्मा की आगे की कथा* की चर्चा आगामी कक्षाओं में यानि कल………….
आचार्य सुरेश जोशी
*वाटसप गुरुकुल महाविद्यालय* आर्यावर्त्त साधना सदन दशहराबाग बाराबंकी उत्तर-प्रदेश!