अनुराग लक्ष्य, 12 जनवरी
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता ।
कहते हैं कि साहित्य समाज का दर्पण होता है और इस दर्पण में न कोई छोटा होता है और न कोई बड़ा। न कोई हिंदू होता है और न कोई मुस्लिम। बस सिर्फ कलमकार होता है, शायर होता है, अदीब होता है और,,कवि,, होता है , और जो कवि धर्म निभाता है वही सच्चा साहित्यकार होता है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए साकी नाका मुंबई में साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था ,, काव्य सृजन ,, ने 140 वीं मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया, जिसकी अध्यक्षता डॉक्टर ओम प्रकाश तिवारी ने की, और संचालन का दायित्व अवधेश यदुवंशी ने बखूबी निभा कर कार्यक्रम में विशेष भूमिका निभाई। बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे गीतकार राम जी कन्नौजिया।
काव्य गोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण के साथ हुआ, तदोपरांत अंजनी द्विवेदी ,अनमोल, एवं हौसला प्रसाद ,,अन्वेषी, ने आज के साहित्य को किस तरह जन जन तक पहुंचाया जाए। इस पर अपने विचारों से उपस्थित श्रोताओं को अवगत कराया। जिसे उपस्थित श्रोताओं ने बेहद सराहा।
काव्य गोष्ठी का शुभारंभ श्रीधर मिश्र आत्मिक की रचनाओं से हुआ, तदोपरांत लाल बहादुर यादव कमल, हीरा लाल हीरा, आयुष सिंह, पंडित जमदग्नपुरी, हौसला प्रसाद अन्वेषी, सजन लाल यादव, श्री नाथ शर्मा, अनजानी द्विवेदी अनमोल, शारदा प्रसाद दूबे, नरेंद्र शर्मा खामोश, डॉक्टर प्रमोद पल्लवित, गीतकार राम जी कन्नौजिया, डॉक्टर ओम प्रकाश तिवारी, अवधेश यदुवंशी, आनंद पांडेय केवल, सांवले मिश्र कोमल, राजीव मिश्र मधुकर, सहित गुरु प्रसाद गुप्ता ने भी अपनी अपनी रचनाओं से काव्य गोष्ठी को परवान चढ़ाया।
गोष्ठी के अंत में संस्था के अध्यक्ष श्रीधर मिश्र ने तमाम आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।