हाँ मुझे रंगों से बहुत प्यार था, इसी लिए मैं आज इस पेशे में हूँ, मुहम्मद अलाउद्दीन,,,,,,

अनुराग लक्ष्य, 1 जनवरी 2025
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता ।
यह सच है कि कुदरत के हज़ारों रंग हैं। दुनिया बनाने वाले ने इस दुनिया को अपने वजूद से रंग रखा है।
उन्हीं रंगों में एक इंसान ऐसा भी है जिसे बचपन से ही रंगों से बहुत प्यार था। इसी शौक को परवान चढ़ाया कपड़ों को विभिन्न प्रकार के रंगों में रंगकर लोगों को खुश करना।
जी हाँ हम बात कर रहे हैं पिछले 34 सालों में धारावी के संगम गली कपड़ों की रंगाई करने वाले मुहम्मद अलाउद्दीन रंगरेज की, जो धारावी वासियों में अपनी खास जगह बनाने में पूरी तरह सक्रिय हैं।
1983 से इस पेशे में काम करते हुए अपने अनुभव को बताते हैं कि यह पेश उन्हें ख्वाजा गरीब नवाज़ की दुआओं से मिला है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इस पेशे मेंकाम करने किए उन्होंने ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ से मन्नत मांगी थी जो उन्होंने पूरी की। वोह अपनी कामयाबी को लेकर कहते हैं कि मुझे अपनी ज़िंदगी में जो कुछ भी मिला, वो ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दुआओं का सदका है।
उनके इस पेशे से प्रभावित होने वाले लोगों में कई नामचीन हस्तियों और कंपनियों ने भी उन्हें अपने साथ काम करने के लिए आमंत्रित भी किया, लेकिन वोह खुद तनहा और आज़ादी के साथ
स्वतंत्र रूप से काम करते हुए जीना चाहते हैं।
डोंबिवली की शारदा टेक्सटाइल मिल के ऑफर को भी उन्होंने स्वीकार नहीं किया और आज भी स्वतंत्र रूप से ही एक कुशल कपड़े की ड्राइंग के लिए धारावी वासियों के दिल में ज़िंदा हैं।