संगम नोज पर श्रद्धालुओं को बड़ी संख्या में स्नान की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ एक धारा में प्रवाहित हो रहीं मां गंगा

  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिव्य और भव्य महाकुम्भ को आयोजित कराने के संकल्प को धरातल पर उतारने के लिए सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने अपनी कड़ी मेहनत से जो सफलता प्राप्त की है, वह सचमुच में ‘भगीरथ प्रयास’ की याद दिलाती है। अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए घोर तपस्या करके भगीरथ मां गंगा को धरती पर लेकर आए थे। वहीं वर्तमान में विभिन्न कारणों से अपने प्राकृतिक स्वरूप से तीन धाराओं में बँटी मां गंगा को एक धारा में प्रवाहित करके सिंचाई विभाग ने ‘भगीरथ’ की भूमिका निभायी है। प्रयागराज में शास्त्री ब्रिज से लेकर संगम नोज तक मां गंगा तीन धाराओं में विभाजित हो गई थीं, जिससे न केवल पवित्रता प्रभावित हो रही थी, बल्कि महाकुम्भ के आयोजन में भी कठिनाइयां आ रही थीं। ऐसे में दोबारा एक धारा में प्रवाहित कर मां गंगा को वास्तविक स्वरूप प्रदान किया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुम्भ को दिव्य-भव्य आयोजित कराने एवं श्रद्धालुओं को संगम पर सुगम स्नान की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए व्यापक इंतजाम करने के निर्देश दिये थे। ऐसे में महाकुम्भ में आने वाले करीब 40 करोड़ श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए संगम नोज पर तीन धाराओं में बह रहीं मां गंगा को एक धारा में प्रवाहित करने की रणनीति तैयार की गयी। इससे मां गंगा के तट पर ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालुओं को एक साथ स्नान की सुविधा मिलने के साथ पहली बार तीन अलग-अलग जगह स्नान की जगह एक ही स्थान पर स्नान की सुविधा मिलेगी। मेले की सुचारू व्यवस्था के लिए गंगा नदी के प्रवाह को एकरूप करना बहुत आवश्यक था। शास्त्री ब्रिज से लेकर संगम नोज तक मां गंगा तीन धाराओं में बटी हुई थी, जिससे मेला क्षेत्र सीमित और अव्यवस्थित होता जा रहा था। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इस चुनौती से निपटने के लिए मां गंगा की बायीं और दायीं धाराओं को एक प्रवाह में लाने की योजना बनाई गई।
योजना को साकार करने के लिए आईआईटी गुवाहाटी के विशेषज्ञ टीम की मदद ली गई। सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर संगम क्षेत्र के मां गंगा प्रवाह के विस्तार के लिए तीन विशाल ड्रेजिंग मशीनों को लगाया गया है। शुरुआत में मां गंगा का तेज प्रवाह और ऊंचा जल स्तर इस कार्य में सबसे बड़ी बाधा साबित हो रहा था। इससे ड्रेजिंग मशीनों को तेज धारा में स्थिर रखना और नदी की दोनों धाराओं को बीच की धारा में मिलाना कठिन हो रहा था। इस पर शास्त्री ब्रिज के पास तीनों ड्रेजरों को अलग-अलग बिंदुओं पर लगाया गया। इसके साथ ही मेला क्षेत्र को विस्तार देने के लिए बालू की आवश्यकता थी। काम के दौरान मां गंगा की प्रबल धारा के कारण भारी-भरकम ड्रेजिंग मशीनें बार-बार अस्थिर हो रही थीं। डिस्चार्ज पाइप मुड़ जाते और मशीनों को नियंत्रित करना कठिन हो जाता। टीम ने इन चुनौतियों का सामना करने के लिए बड़े एंकरों और पॉटून ब्रिज का सहारा लिया। मोटे रस्सों का उपयोग कर ड्रेजरों को नदी के किनारों से स्थिर रखा गया।