उफ्फ, यह ठंडक, ऐसा नहीं लग रहा है कि हम मुंबई में हैं, सलीम बस्तवी अज़ीज़ी की एक रिपोर्ट,,,,,

अनुराग लक्ष्य, 30 नवंबर
सलीम बस्तवी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता।
वाह रे दुनिया बनाने वाले, तेरे शान ए रहीमी और करीमी का भी जवाब नहीं।
यह करम करम की बात है,
कभी कुछ दिया, कभी कुछ नहीं ।
यह नज़र नज़र की बात है,
कभी कुछ दिया, कभी कुछ नहीं।।
और, सही मायनों में अगर देखा जाए तो ज़र्रे ज़र्रे में तेरा मुझको नूर दिखता है,
हर तरफ तेरा ही मुझको ज़हूर दिखता है। तभी पिछले एक सप्ताह से नवम्बर महीने का अंतिम सप्ताह जिस तरह गुज़र रहा है, वोह मुम्बई वासियों के लिए एक कौतूहल का विषय बना हुआ है, क्योंकि मुम्बई वासी इस समय जिस ठंडक को लेकर काफी परेशान हैं। वोह उनके लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है। सारा सारा दिन धूप का न निकलना और तापमान में अचानक गिरावट की वजह से महाराष्ट्र राज्य सहित मुंबई वासियों के जीवन पर इसका खास प्रभाव दिखाई दे रहा है।
जो घरों और अपने प्रतिष्ठानों में हैं, उन्हें जब सारा दिन और रात यह ठंड अपनी मौजूदगी का भरपूर एहसास करा रही है तो फुटपाथ पर ज़िंदगी गुजर करने वालों पर क्या गुज़र रही है। यह तभी महसूस होगा जब आप इस वक्त मुंबई की सड़कों पर होंगे।
तापमान अचानक 27/28/ और 29 के आस पास आ जाने की वजह से ठंड ने सबको अपने आगोश में ले लिया है।
अब सवाल यह उठता है कि जब अभी नवंबर माह यह गुल खिला रहा है तो आने वाले दिसंबर और जनवरी की ठंडक का सामना मुंबई वासी कैसे करेंगे। फिलहाल इस वक्त मुंबई का आलम यह है कि अगर एक तरफ समाज का धनाडय तबका इस ठंडक का आनंद ले रहा है तो वहीं दूसरी तरफ समाज का गरीब तबका अपनी रोज़ी और रोटी की चिंता में डूबा हुआ है।
अब देखना यह भी है कि इस बार इस ठंड को लेकर शासन और प्रशाशन सहित राजनैतिक चेहरों का क्या योगदान सामने आएगा। जिससे मुंबई वासियों को इस बार इस ठंड से निजात मिल सके।