बस्ती। ये शाम और ये फूलों का मुरझाना देख उदासी क्यों, जब तय है होगी सुबह, खिलेंगे फूल हजारों नये-नये’ जैसी रचनाओं से समाज को संदेश देने वाले जन कवि बालसोम गौतम को उनकी आठवीं पुण्य तिथि पर याद किया गया। बालसोम गौतम स्मृति संस्थान की ओर से बुधवार को प्रेस क्लब के सभागार में आयोजित कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में कवि, शायरों ने बालसोम गौतम के साहित्यिक योगदान पर विमर्श किया।
मुख्य अतिथि डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि बालसोम गौतम का रचना संसार विविधता लिये हुये हैं। वे अपने समय के सशक्त हस्ताक्षर थे, उनकी कवितायेें हमें संकट में साहस देती है। डा. वर्मा ने बाल सोम पर केन्द्रित रचना ‘बाल सोमजी ने जीवन में कभी न मानी हार, उनकी पुण्य तिथि पर करता नमन् उन्हेें शतबार’’ सुनाकर उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।
बालसोम गौतम के शिष्य डॉ. राम कृष्ण लाल ‘जगमग’ ने कहा कि बाल सोम गौतम को याद करना इतिहास के कई बिन्दुओं को खंगालने जैसा है। वे स्वयं में अप्रतिम कवि थे। उन्होने बालसोम गौतम से जुड़े अनेक प्रसंगोें, अनुभवों को साझा किया। उनकी कविता ‘ हर पल गीत प्रेम के गाया, नहीं किसी का हृदय दुःखाया, कौन करे अब लेखा जोखा, जीवन में क्या खोया पाया’ को श्रोताओं ने सराहा। डॉ. जगमग ने बाल सोम जी की कविताओं को सुनाते हुये कई प्रसंगोें की विस्तार से चर्चा किया। राम नरेश सिंह मंजुल ने कहा कि बाल सोम जी का रचना संसार बहुत व्यापक था। उनकी रचनाओं का जन मानस पर गहरा प्रभाव पड़ा। संचालन करते हुये विनोद कुमार उपाध्याय ‘हर्षित’ ने बाल सोम जी के जीवनवृत्त पर प्रकाश डाला। अध्यक्षता करते हुये हरीश दरवेश ने बाल सोम जी के रचना संसार पर विस्तार से प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में सुरेश सिंह गौतम, श्याम प्रकाश शर्मा, रामदत्त जोशी, डा. अजीत श्रीवास्तव ‘राज’, डा. सतीश चन्द्र, रहमान अली ‘रहमान’ अफजल हुसेन अफजल, तौव्वाब अली, हनुमत प्रसाद शुक्ल, चन्द्रमोहन लाल श्रीवास्तव, राजेन्द्र सिंह ‘राही’, हरिश्चन्द्र शुक्ल, सत्येन्द्र पटेल, आर.पी. मिश्र, सामईन फारूकी, आदि ने कहा कि जन कवि बाल सोम गौतम की रचनायें युगों तक लोगों को अंधकार से लड़ने का साहस देंगी। उन्होने मानव मन की पीडा, हर्ष को जो स्वर दिया वह दिलों को छू जाता है। अनेक कवि, शायरों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से बालसोम गौतम की स्मृतियांें को साझा किया। बाल सोम गौतम के अधिवक्ता पुत्र सिद्धार्थ गौतम ने अपने पिता की रचनाओं को प्रस्तुत करने के साथ ही आगन्तुकों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से लवकुश सिंह, राजेन्द्र उपाध्याय, राकेश तिवारी, पावेन्द्रनाथ पुरी, महेन्द्र उपाध्याय के साथ ही अनेक कवि, साहित्यकार उपस्थित रहे।