वकीलों पर लाठीचार्ज के विरोध में न्यायिक कार्य का बहिष्कार

बस्ती: गाजियाबाद की घटना के विरोध में जिला मुख्यालय पर अधिवक्ताओ ने रास्ता जाम कर प्रदर्शन किया। इस दौरान गेट नंबर दो के रास्ते को बंद वकीलों ने जमकर नारेबाजी की। सिविल बार एसोसिएशन ने न्यायालय के मुख्य गेट धरना स्थल बना दिया था। कोर्ट की तरफ आने वाले सभी रास्ते बंद कर दिए गए। गाजियाबाद कोर्ट में वकीलों पर किए गए लाठीचार्ज के विरोध में न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया। वकीलों की इस हड़ताल को बार काउंसिल आफ यूपी ने भी समर्थन दिया है। जनपद बार के अध्यक्ष जवाहर लाल मिश्र व महामंत्री रविशंकर शुक्ल ने पांच सूत्रीय मांग पत्र पेश कर बताया कि गाजियाबाद ने न्यायालय में लाठीचार्ज की जांच विशेष कमेटी बना कर की जाए। कोर्ट में अधिवक्ता को बहस पूरा अवसर दिया जाए। जबरदस्ती पीठासीन अधिकारी द्वारा उसे रोका न जाए। पीओ कोर्ट में समय से बैठे और समय फैसला करें। न्यायालय में भ्रष्टाचार और दलाली बंद हो। हाईकोर्ट व शासन के अधिकारियों के जनपद विजिट पर बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से मुलाकात कराई जाए। गाजियाबाद के जिलाजज को निलंबित करके उनके उपर विधिक कार्रवाई किया जाए। अधिवक्ताओं बताया कि 29 अक्तूबर 24 को जिला जज गाजियाबाद के न्यायालय में सुनवाई के दौरान जिला जज ने अधिवक्ताओं से अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया। विरोध करने पर निहत्थे अधिवक्ताओं पर पुलिस से लाठी चार्ज कराया था। न्यायालय कक्ष में घटित घटना पर बार काउंसिल आफ उ.प्र.तत्काल संज्ञान लेकर आवश्यक व प्रभावी कार्यावाई तीन दिवस में अमल में लाए जाने की बात कही है, जिससे कि भविष्य में अधिवक्ताओं के साथ न्यायालयों में इस प्रकार की शर्मनाक व दु:खद घटनाएं दोबारा घटित नहीं हो और न्यायिक कार्य प्रभावित होने की संभावनाओं से बचा जा सके। जनपद बार के महासचिव रविशंकर शुक्ल ने कहा कि गाजियाबाद के अधिवक्ताओं पर हुए अन्याय पूर्ण व्यवहार के विरोध में सोमवार को सभी बार एसोसिएशन से जुड़े अधिवक्ता न्यायिक कार्य से बिरत रहे। संगठन की ओर से मांग रखी गई है कि ऐसे ठोस कदम उठाए जिससे कि भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हों। लाठीचार्ज में घायल अधिवक्ताओं को क्षतिपूर्ति राशि प्रदान की जाए। इस मौके पर सिविल बार के नवनिर्वाचित अध्यक्ष अजय सिंह, महामंत्री मारुत कुमार शुक्ल, संयुक्त मंत्री देवव्रत उपाध्याय, अनिल दत्त चतुर्वेदी, डा. अजय पांडेय एडवोकट, योगेश श्रीवास्तव, सीपी वर्मा, लालमणि वर्मा, महेन्द्र पांडेय आदि तमाम अधिवक्ता शामिल रहे।