उद्धार करो हे कान्हा जग ढूंढ रहा है फिर से राह।
दिव्य ज्ञान दो गीता का जाग जायेगा मानव के सोए विचार।।
जन्म लिए तुम कारागृह में करने दुष्टों का दमन।
वाका काका पूतना का बचपन में हीं किया मर्दन।।
जब करना था लीला तो मुरली पर तुम छेड़े तान।
माखन मिश्री खाए तुम और किया गोपी परेशान।।
वृंदावन के जंगल में गौ पालन का किया जो काम।
अगर बचाना समाज परिवार को गोवर्धन वाला वो नाम।।
कालिया के फन का मर्दन कर तोड़ा था उसका अभिमान।
मुक्त करा अपने स्वजन को और कंश को भेजा सुरधाम।।
लाज बचाना एक नारी का भरी सभा में होने से नग्न।
रूप विराट दिखलाया तुम जब अस्तित्व पर आया प्रश्न।।
धर्म युद्ध के लिए जरूरी वहां दिया गीता का ज्ञान।
अर्जुन के कपकपाते हाथों में करा दिया गांडीव संधान।।
उद्धार किए तुम अपने युग में बल कौशल और ज्ञान के साथ।
विवश खड़ा अब आम जन देख रहा बस आपका राह।।
लेकर आना कान्हा तुम मुरली को भी अपने साथ।
राग छेड़ना शांति का फिर से इस धारा पर आप।।
बात बने न मुरली से तो चक्र सुदर्शन रखना पास।
अधमि और अता ताई का दमन करना सुदर्शन से आप।।
श्री कमलेश झा भागलपुर बिहार
9990891378