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अनुराग लक्ष्य, 2 सितंबर
सलीम बस्तबी अज़ीज़ी
मुम्बई संवाददाता।
बीती रात धरावी के मदीना मस्जिद में शहंशाह ए सुन्नियत फाज़िले बरेली सरकार आला हज़रत के उर्स मुबारक के मौके पर एक जलसे का एहतमाम किया गया, जिसकी सदारत हज़रत ए अल्लामा मौलाना मोहतरम जनाब साबिरुल कादरी साहब ने की, जबकि नेजामत के फरायज को बहोत ही खूबसूरत अंदाज़ में पूर्वांचल के कोहनूर शायर सलीम बस्तवी अज़ीज़ी ने अंजाम दिया ।
जलसे आगाज़ हाफिज ओ कारी इकरामुल हक के तिलावत ए कुरान पाक से हुआ।
साथ ही उनका पढ़ा हुआ शेर,
,, बरसे हारन रिमझिम रिमझिम, दो बूंद इधर भी गिरा जाना, मझधार में है बिगड़ी है हवा
मोरी नैया पार लगा जाना, को खूब सराहा गया।
इसके बाद हाफिज ओ कारी शाहनवाज रिज़्वी ने अपना कलाम,
वोह सुए लालाजार फिरते है,
तेरे दिन और बहार फिरते हैं, सुनाकर जलसे को एक नई रंगत दी।
इसी क्रम में मस्जिद के बानी और इस जलसे के सरपरस्त जनाब जुनैद अहमद अशर्फी ने अपना कलाम,
इश्क मुहब्बत इश्क वफा है
मेरा रज़ा है मेरा रज़ा है
जिसने दिया हमको दर्स ए वफा है
मेरा रज़ा है मेरा रज़ा है ,,
सुनाकर महफिल को बाग बाग कर दिया।
जलसे की नेजामत कर रहे शायर सलीम बस्तवी अज़ीज़ी ने दर्जनों नात और मनकबत के शेर सुनाकर महफिल को गुले गुलज़ार कर दिया,,
,, मेरे नबी की आंख के तारे मेरे रज़ा,
हैं गौस और ख्वाजा के दुलारे मेरे रज़ा,, और इसी के साथ,
मदीने की हसीं गलियों से यह पैगाम आया है
मुहम्मद के गुलामों में भी तेरा नाम आया है,, को समायींन हजरात ने खूब सराहा।
और, आखिर में सदारत कर रहे हजरत अल्लामा मौलाना साबीरुल कादरी ने सरकार आला हज़रत की ज़िंदगी और उनके इल्म पर रोशनी डालते हुए साम्यीन को आला हज़रत के बताए हुए सुन्नत पर अमल करने की हिदायत दी।
प्रोग्राम का एख्तेताम मौलाना जुनैद साहब के सलात ओ सलाम के साथ हुआ। और आए हुए सम्यीन हजरात का शुक्रिया भी अदा किया।