45 वर्ष तक मुआवजा न देने पर रेलवे पर एक लाख का जुर्माना हुआ

जबलपुर  अगस्त हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया की एकलपीठ ने रेलवे के उस रवैये को आड़े हाथों लिया, जिसके अंतर्गत जमीन लेकर विगत 45 वर्ष से मुआवजा नहीं दिया गया। कोर्ट ने रेलवे पर इस गलती के लिए एक लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया। इतने वर्षों का का ब्याज सहित किराया भी देने के निर्देश दिए। इसके साथ ही नवीन भूमि स्वामी अधिग्रहण अधिनियम के तहत मुआवजा भुगतान के निर्देश भी दिए। हाईकोर्ट ने यह प्रक्रिया एक माह में पूरी करने के निर्देश दिए। दरअसल, रेलवे को लोको शेड निर्माण के लिए भूमि की आवश्यकता थी। कटनी निवासी केशव कुमार निगम की 0.45 एकड़ भूमि का अधिग्रहण की कार्रवाई की गई। रेलवे की 17 फरवरी 1979 की भूमि का कब्जा प्राप्त हो गया। इसके बाद भू-अर्जन की प्रक्रिया लगभग 20 वर्ष चली, लेकिन रेलवे ने मुआवजा राशि जमा नहीं की। इसके बाद भू-अर्जन का प्रकरण समाप्त कर दिया गया। लिहाजा, केशव कुमार निगम ने वर्ष 2002 में हाई कोर्ट में याचिका दायर की। आश्चर्य है कि पिछले 22 सालों में याचिका लंबित रहने के दौरान राज्य शासन की ओर से कोई जवाब पेश नहीं किया गया।