बस्ती – आर्य समाज नई बाजार बस्ती द्वारा आयोजित श्रावणी उपाकर्म एवं वेद प्रचार सप्ताह के तृतीय दिवस का कार्यक्रम वृद्धाश्रम बनकटा बस्ती में सुपरवाइजर अजीत की देखरेख में सम्पन्न हुआ। जिसमें आचार्य महावीर मुमुक्षु द्वारा वैदिक यज्ञ कराते हुए सबको ईश्वर भक्ति की प्रेरणा दी गई और वैदिक साहित्य भेंट किया गया। पण्डित नेम प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि कहा कि सत्संग वह है चाभी है जिससे आनन्द के द्वार खुलते हैं। वृद्धावस्था में नित्य उपासना अर्थात ईश्वर भजन कीर्तन से जीवन को सुखी बनाया जा सकता है।इसके पश्चात संत नारायण पब्लिक स्कूल भरौली बाबू में बच्चों और शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए आचार्य महावीर मुमुक्षु ने बताया कि विद्या से हमें विनम्रता सिखाती है और विद्या के मूल स्रोत वेद हैं और वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तक है। वेद का पढ़ना पढ़ाना और सुनना सुनना सब मनुष्यों का परम धर्म हैं इसलिए हमें अपने माता पिता के साथ सत्संग में जाना चाहिए। उन्होंने बच्चों को शुद्ध अचार-विचार और व्यवहार के बारे में बताते हुए अभिवादनशील बनने का सुझाव दिया। विद्यालय के प्रबंधक जे पी चौबे ने कहा कि आज बच्चों को पाठ्यक्रम के अलावा धर्म संस्कार की शिक्षा देना अति आवश्यक है। सायंकालीन सभा में संचालन करते हुए ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने कहा कि समाज का उपकार करना इस समाज का मुख्य उद्देश्य है अर्थात लोगों की शारीरिक, मानसिक और सामाजिक उन्नति करना। पण्डित नेम प्रकाश त्रिपाठी ने मधुर भजनों के माध्यम से सुखी गृहस्थ के साधन विषय पर चर्चा करते हुए बताया कि हमें नित्य पाॅच काम करने चाहिए। पहला ईश्वर की स्तुति प्रार्थना व उपासना दूसरा देवयज्ञ हवन तीसरा अपने आश्रित जीव जन्तुओं को भोजन देना चैथा जीवित माता पिता आदि की भोजन वस्त्र जल औषधि आदि से सेवा करना पाॅचवाॅ विद्वान अतिथि की सेवा करना और उनसे जीवन की सफलता के उपदेश सुनना। ये पाॅच काम सभी मानवों के लिए अनिवार्य हैं। यही सुखी गृहस्थ के मूलमंत्र हैं। इस कार्यक्रम मुख्य रूप से राजेन्द्र जायसवाल, दिलीप कसौधन, शंकर जायसवाल, रवि कुमार, योग शिक्षक अजीत पाण्डेय, रजत कुमार, आशीष बरनवाल, संतोष पाण्डेय, चंद्रप्रकाश चौधरी, श्रवण कुमार, उर्मिला बरनवाल, अंशुमाला अग्रवाल, गुड़िया, महिमा आर्य, कामना पाण्डेय, रश्मि गुप्ता, आयुषी आर्य, ब्रह्मानंद पाण्डेय, वैष्णव कुमार श्रीवास्तव सहित अनेक लोग सम्मिलित रहे।
गरुण ध्वज पाण्डेय