नहीं सुरक्षित अपनी नारी , दिल भारत का हिला दिया- अंजना सिन्हा

नहीं सुरक्षित अपनी नारी ,दिल भारत का हिला दिया।

सोच रही हू अमृत, अपना किन असुरों को पिला दिया।।

 

ममता रोती रही बिलखकर, नैतिकता दम तोड़ गई।

हबसी के हाथों में लिपटी प्रश्न झुलसते छोड़ गई।।

भारत मांँ के रहे लाडलो, कैसा तुमने सिला दिया

नहीं सुरक्षित अपनी नारी ,दिल भारत का हिला दिया।।

 

बहुत सह लिया उत्पीड़न को, अब तो समझो कोई यार।

आज गिराओ मिलकर सारे, आततायियों की सरकार।।

स्वाभिमान निज जननी का, मिट्टी में किसने मिला दिया

नहीं सुरक्षित अपनी नारी ,दिल भारत का हिला दिया।।

 

 

नंगा नाच सियासी भाई, क्यों ना आंँखें फूट गई।

लूट ली गई है जो बहना, जीवन आशा टूट गई।।

नाम डुबाया मातृभूमि का, जिसने जीवन खिला दिया

नहीं सुरक्षित अपनी नारी ,दिल भारत का हिला दिया।।

 

तुम कमजोर नहीं हो नारी, ले लो हाथो में हथियार।

पास तुम्हारे भटक सके ना, करो दरिंदों पर तुम वार।।

कभी छोडना नहीं उन्हें तुम , जिसने तुमको मिटा दिया

नहीं सुरक्षित अपनी नारी ,दिल भारत का हिला दिया।।

 

अंजना सिन्हा “सखी ”

रायगढ़