साहित्यकार में समाज में जागरूकता लाने की अद्भुत क्षमता होती है। इसी उद्देश्य को लेकर स्वतंत्र लेखन मंच पर
वैश्विक स्तर पर मनाए जाने वाले विशेष दिवसों की श्रृंखला में *विश्व पर्यावरण दिवस* मनाया गया।
मच संस्थापक के संस्थापक, संपादक, अध्यक्ष डॉ विनोद वर्मा दुर्गेश” मुकुंद” जी के जन्मोत्सव पर बधाई व शुभकामनाएँ देते हुए मंच की संरक्षिका, संचालिका, संयोजिका व अध्यक्षा डॉ दवीना अमर ठकराल “देविका” के कुशल निर्देशन, कार्यकारिणी के अकथनीय सहयोग व आ. सुनील भारती आज़ाद” सौरभ” के मंच संचालन में प्रेरक, संदेश वाहक नारा लेखन से आयोजन को गति व सार्थकता मिली।
३६ रचनाकारों की सहभागिता से सन् १९७४ में आरंभ हुए पहले विश्व पर्यावरण दिवस” केवल में “मेरी पृथ्वी थीम” और अब “मेरी भूमि” ।
हमारी धरती माँ -प्राकृतिक संपदा दायिनी, पंचतत्व से निर्मित हमारा पर्यावरण के बिगड़ते संतुलन के बारे में जागरूक किया गया।
घटते ओज़ोन लेवल को बढ़ाना, प्लास्टिक का बहिष्कार, सूखे गीले कचरे का प्रबंधन, कचरा न जलाना, अनावश्यक पानी का प्रयोग न करना, वातानुकूलित यंत्रों का कम से कम प्रयोग करना,जीवाश्म ईंधन का संरक्षण सबसे महत्वपूर्ण वृक्षारोपण केन्द्र बिन्दु मान कर नारों के माध्यम से संदेश दिया गया।
आ. फूल चंद्र विश्वकर्मा “ भास्कर”१०, अरुण ठाकर “कवित्त”११, प्रेम सिंह “काव्या”१०, सुरेश चंद्र जोशी “सहयोगी “११, रश्मि गुप्ता “रिंकी”११,सिद्धि डोभाल “सागरिका”१०, अशोक दोशी “दिवाकर”१०,सुनील कुमार१०, विनोद सिंह भ्रमर१०,रंजना बिनानी “स्वरागिनी”१०,संगीता चमोली “इंदुजा”११,नीतू रवि गर्ग “कमलिनी”१२,डॉ पूर्णिमा पांडये “सुधांशु”१०,रेखा पुरोहित”तरंगिणी”१२,सुमन किमोठी “वसुधा”१०,डॉ राम कुमार झा “निकुंज”१०,संजीव भटनागर “सजग”३०,कुसुम लता “तरुषी”१९,अनीता जोशी१०, अनु तोमर “अग्रजा”१०, मंजुला सिन्हा” मेघा”१०,सुरेंद्र बिंदल१०,माधुरी श्रीवास्तव “यामिनी”१२,डॉ पूनम सिंह सारंगी”१२, नीरजा शर्मा “अवनि”१२, कमला उनियाल” मृगनयनी”१०,नृपेंद्र चतुर्वेदी “सागर”१०,सविता मेहरोत्रा” सुगंधा “१०,वंदना भंसाली २५, वीना टंडन “पुष्करा”१३,स्वर्ण लता “कोकिला”१०,ललित कुमार “भानु”१०,डॉ अनीता राजपाल “वसुंधरा”१०, होशियार सिंह “वैरागी”१२
जी ने अपनी सशक्त कलम से उत्कृष्ट नारे सृजन कर
आयोजन को अविस्मरणीय व समाजोपयोगी बना दिया।
कार्यक्रम का समापन करते हुए मंच अध्यक्षा डॉ दवीना अमर ठकराल” देविका” ने पिघलते हिम खंड, घटती वन संपदा, बदलते तापमान व प्रदूषित होती
नदियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा ….
पर्यावरण दिवस न हो केवल एक दिन,
पर्यावरण के प्रति जागरूक रहें प्रतिदिन।
जागें और जगाएँ, पर्यावरण के प्रति सबको ज़िम्मेदार बनाएँ।