धार, एंबुलेंस मरे हुए लोगों के लिए नहीं है… यह कहकर अस्पताल ले जाते समय एक ड्रायवर ने दुखी पिता और उसकी मृत चार साल की बच्ची को बीच रास्ते में उतार दिया। दुखी पिता को हाईवे के बीच में छोड़कर एंबुलेंस चालक तेजी से भाग गया। बेटी के शव को गोद में लेकर धर्मेंद्र राठौर ने एक रिश्तेदार को बुलाया, जो उसे घर ले जाने के लिए मोटरसाइकिल ले आया। इसकी एक दिल दहला देने वाली शनिवार की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की गई, लेकिन जब इस मामले में अधिकारियों से संपर्क किया तो उनको इसकी जानकारी ही नहीं थी। बच्ची जियांशी राठौड़ के हाथ में फ्रैक्चर हो गया और उसे बदनावर के पिटगारा स्थित जेटीपी सरदार पटेल अस्पताल ले जाया गया। राठौड़ ने बताया कि एक डॉक्टर ने हाथ पर अस्थायी प्लास्टर लगाया और हमें दूसरे दिन सर्जरी के लिए बुलाया। उन्होंने बताया कि सर्जरी के तुरंत बाद जियानशी को दौरे पडऩे शुरु हो गए। डॉक्टरों ने हमें लगभग 46 किमी दूर रतलाम जिला अस्पताल रेफर कर दिया, लेकिन जब हम पहुचने ही वाले थे तो उसकी मौत हो गई। पिता ने आरोप लगाया, एंबुलेंस चालक ने हमें सड़क के किनारे छोड़ दिया, यह दावा करते हुए किवाहन मरे हुए के लिए नहीं है। उन्होंने कहा… मैंने जियांशी को घर ले जाने के लिए दूसरी एंबुलेंस या कोई अन्य वाहन लाने की कोशिश की। कोई नहीं आया, आखिरकार रिश्तेदार को बुलाया। जेटीपी सरदार पटेल अस्पताल के प्रवक्ता यश कपाडिय़ा ने कहा-मामले की विस्तृत जानकारी नहीं है लेकिन यह पता लगाने के लिए जांच करूंगा लड़की की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है। एंबुलेंस चालक के पार्थिव शरीर को ले जाने से इनकारकरने के मामले पर भी गौर करूंगा।