श्रीकृष्ण रुक्मिणी के विवाह उत्सव में भाव विभोर हुए श्रोता

 बस्ती: सदर ब्लाक क्षेत्र के बंतला मे चल रही भागवत कथा
 के सतवें दिन कथा वाचक अयोध्या धाम से पधारे. सूर्यकांताचार्य जी ने भगवान की अनेक लीलाओं में विस्तार से रास लीला का वर्णन करते हुए कहा कि रास तो जीव का परमात्मा के मिलन की कथा है। यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है। इसमें कामदेव ने भगवान पर खुले मैदान में अपने पूर्व साम‌र्थ्य के साथ आक्रमण किया है। लेकिन वह भगवान को पराजित नहीं कर पाया उसे ही परास्त होना पड़ा। गोपी गीत पर बोलते हुए व्यास ने कहा जब जीव में अभिमान आता है, भगवान उनसे दूर हो जाते है, लेकिन जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते हैं और दर्शन देते है। भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मिणि के साथ संपन्न हुआ, लेकिन रुक्मिणि को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। रुक्मिणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी हैं और वह नारायण से दूर रह ही नहीं सकती। धन को परमार्थ में लगाना चाहिए और जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वत: ही प्राप्त हो जाती है। जो लोग केवल लक्ष्मी जी का पूजन करते हैं उनके यहां धन लक्ष्मी आती है पर टिकता नही क्योंकि लक्ष्मी जी पतिब्रता हैं और पतिब्रता नारी अपने पती से बहुत दिन दूर नही रह सकता इसीलिए जिने स्थायी धन पाने की इच्छा हो उन्हे लक्ष्मी जी के साथ में नारायण की आराधना करनी चाहिए।
       कार्यक्रम में मुख्य यजमान हनुमान प्रसाद शुक्ल काका, एडवोकेट हाईकोर्ट अविनाश दुबे, रविंद्र शुक्ल, योगेंद्र शुक्ल, धर्मेन्द्र शुक्ल, लक्ष्मी शंकर शुक्ल, आद्या शुक्ल, श्वेतांगी शुक्ला, अकांक्षा शुक्ला, रविशा शुक्ला, आलोक शुक्ला, आदर्श शुक्ला सम्राट, मदन शुक्ल, फूलचंद्र शुक्ल, धीरेन्द्र शुक्ला, संतोष दूबे, विश्वनाथ शर्मा, विपिन सिंह्,राम रक्षा विश्वकर्मा सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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